जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को दी जा रही मेडिकल देखभाल के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने बुधवार को प्रशासन को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को मेडिकल देखभाल प्रदान करने वाले अस्पतालों के नामों का खुलासा करने का निर्देश दिया और समुदाय के लिए पेंशन योजनाओं के निर्माण पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी।
चीफ जस्टिस ताशी रबस्तान और जस्टिस पुनीत गुप्ता की पीठ ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण और अधिकारों से संबंधित जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश जारी किए।
एजाज अहमद बंड और अन्य द्वारा दायर जनहित याचिका का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक NALSA बनाम भारत संघ 2014 के आलोक में ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों को लागू करना था।
याचिकाकर्ता ने जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में ट्रांसजेंडर समुदाय द्वारा सामना किए जाने वाले कई मुद्दों को उजागर किया था।
न्यायालय ने पहले समुदाय के कल्याण को बढ़ाने के उद्देश्य से कई निर्देश जारी किए थे जिनमें शामिल हैं:
1. ट्रांसजेंडर स्टूडेंट्स को स्कूलों और कॉलेजों में दाखिला देकर शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करना।
2. अन्य क्षेत्रों की कल्याणकारी योजनाओं की नकल करना।
3. सार्वजनिक रोजगार में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए आरक्षण की संभावना तलाशना।
4. इन क्षेत्रों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की आबादी की पहचान करने के लिए जनगणना आयोजित करना।
5. समुदाय की शिकायतों को दूर करने के लिए कल्याण बोर्ड की स्थापना करना।
इन पहले के निर्देशों के बावजूद याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय को सूचित किया कि इनमें से कई आदेश अभी भी लागू नहीं हुए हैं जिसके कारण पीठ ने अधिकारियों से अद्यतन स्टेटस रिपोर्ट की मांग की।
16 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान डिप्टी सॉलिसिटर जनरल (DSGI) टीएम शम्सी ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेशों के अस्पतालों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध हैं। हालांकि न्यायालय ने पारदर्शिता की आवश्यकता पर जोर दिया और ऐसी देखभाल प्रदान करने वाले विशिष्ट अस्पतालों के नामों का खुलासा करने का आदेश दिया।
DSGI द्वारा न्यायालय को दी गई जानकारी पर कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की संख्या का आकलन करने और उनकी शिकायतों को दूर करने के लिए समिति गठित की गई, पीठ ने समिति की कार्रवाइयों पर अनुपालन रिपोर्ट भी मांगी।
इसके अतिरिक्त पीठ ने सरकार को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए किसी भी चल रही या प्रस्तावित पेंशन योजना पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। उल्लेखनीय रूप से, न्यायालय ने प्रशासन को इस बारे में निर्देश प्राप्त करने का निर्देश भी दिया कि क्या इस विशेष समुदाय के लिए कोई आरक्षण निर्धारित किया गया है या नहीं किया है।
न्यायालय ने मामले की नए सिरे से समीक्षा के लिए सुनवाई की अगली तारीख 4 दिसंबर 2024 तय की।
केस टाइटल: एजाज अहमद बंड बनाम यूटी ऑफ जेएंडके