J&K Arms Licence Scam: MHA का कहा- IAS अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंज़ूरी पर अभी विचार चल रहा है, हाईकोर्ट ने सुनवाई स्थगित की

Update: 2025-11-24 07:33 GMT

जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट की निगरानी में चल रहे आर्म्स लाइसेंस स्कैम में नए डेवलपमेंट में केंद्र सरकार ने गुरुवार को डिवीजन बेंच को बताया कि कई IAS अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंज़ूरी देने का सवाल गृह मंत्रालय (MHA) के विचाराधीन है और जल्द ही इस पर औपचारिक फैसला होने की संभावना है।

यह साफ बयान दर्ज करते हुए बेंच में शामिल चीफ जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस राजेश ओसवाल ने राहत देते हुए मामला 30 दिसंबर 2025 के लिए पोस्ट कर दिया।

इससे पहले जब मामले की सुनवाई हुई तो डिप्टी सॉलिसिटर जनरल विशाल शर्मा ने CGSC ए.सी. कौल की मदद से कहा कि कोर्ट द्वारा 09.10.2025 को दिया गया हलफनामा पहले ही फाइल किया जा चुका है। उन्होंने बेंच को आगे बताया कि 20.11.2025 के ऑर्डर में जो दर्ज है, उसके मुताबिक जम्मू कश्मीर सरकार और CBI दोनों ने मिनिस्ट्री द्वारा 26 सितंबर और 14 अक्टूबर, 2025 के अपने कम्युनिकेशन के ज़रिए मांगे गए सभी क्लैरिफिकेशन का जवाब दिया। DSGI ने दोहराया कि मिनिस्ट्री अब मंज़ूरी के प्रपोज़ल की एडवांस स्टेज पर जांच कर रही है और उसकी फ़ाइनल पोज़िशन जल्द ही तैयार हो जाएगी।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला कई IAS अधिकारियों के ख़िलाफ़ प्रॉसिक्यूशन मंज़ूरी से जुड़ा है, जिन्होंने उस समय डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के तौर पर काम किया, जब CBI का आरोप है कि बड़े पैमाने पर गैर-कानूनी हथियार लाइसेंस जारी किए गए। अपनी पिछली स्टेटस रिपोर्ट में MHA ने कोर्ट को बताया कि जम्मू कश्मीर सरकार ने कई IAS अधिकारियों के बारे में प्रपोज़ल भेजे थे। मिनिस्ट्री ने यह भी बताया कि CBI FIR में मांगी गई प्रॉसिक्यूशन मंज़ूरी पर चर्चा करने के लिए जम्मू कश्मीर सरकार और CBI के सीनियर अधिकारियों के साथ एडिशनल सेक्रेटरी (UT) की अध्यक्षता में एक हाई लेवल मीटिंग हुई थी।

सुनवाई के दौरान, जम्मू कश्मीर सरकार की ओर से वर्चुअल मोड में एडवोकेट महा मजीद के साथ पेश हुए सीनियर AAG मोहसिन कादरी ने कहा कि UT एडमिनिस्ट्रेशन ने सभी मंज़ूरी के प्रस्ताव भेजकर अपनी ज़िम्मेदारी पहले ही पूरी कर ली है और अब यह मामला पूरी तरह से MHA में सक्षम अथॉरिटी के पास है। उन्होंने सुझाव दिया कि PIL को पेंडिंग रखने से शायद कोई और मकसद पूरा न हो।

दूसरी ओर, याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए एडवोकेट एस.एस. अहमद और एडवोकेट सुप्रिया सिंह चौहान ने DSGI और राज्य के लॉ ऑफिसर्स दोनों की मदद की तारीफ़ की, ताकि यह पक्का हो सके कि इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट और डॉक्यूमेंट्स जल्दी फाइल किए गए, जो काफ़ी पब्लिक इंपॉर्टेंस से जुड़ा है। बेंच ने DSGI, सीनियर AAG और उनके असिस्टेंट वकील की कोशिशों की भी तारीफ़ की।

सभी पार्टियों को सुनने के बाद डिवीज़न बेंच ने DSGI की थोड़ी राहत की रिक्वेस्ट मान ली ताकि केंद्र सरकार प्रॉसिक्यूशन मंज़ूरी के मुद्दे पर अपना फॉर्मल फ़ैसला कोर्ट के सामने रख सके। मामला 30 दिसंबर 2025 तक के लिए टाल दिया गया।

Case Title: Sheikh Mohd Shafi Vs Union of India

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