किसी विधवा के सिर पर एक-पक्षीय तलाक का कलंक, उसे पूर्व-सैनिक की जीवनसाथी होने के लाभों से वंचित करने के लिए, लगाए नहीं रखा जा सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट

Update: 2024-04-02 11:17 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट ने माना कि किसी पूर्व सैनिक के पति या पत्नी को इस आधार पर विधवा पहचान पत्र देने से इनकार नहीं किया जा सकता कि पति की याचिका पर पत्नी के खिलाफ तलाक की एक पक्षीय डिक्री दी गई थी, बाद में एकपक्षीय डिक्री वापस लेने की मांग संबंधी आवेदन के लंबित रहने के दरमियान उसका निधन हो गया।

जस्टिस एम नागाप्रसन्ना की सिंगल जज बेंच ने पर्वतम्मा द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर लिया और संयुक्त निदेशक, सैनिक कल्याण और पुनर्वास को याचिकाकर्ता को दो सप्ताह के भीतर विधवा पहचान पत्र जारी करने का निर्देश दिया। वह पहचान पत्र के अनुदान से मिलने वाले सभी परिणामी लाभों की हकदार है।

पीठ ने कहा कि किसी पूर्व सैनिक की मृत्यु होने पर उसकी विधवा विधवा पहचान पत्र की हकदार हो जाती है और विधवा को कार्ड दिए जाने से कई लाभ मिलेंगे। कोर्ट ने नोट किया कि यह एक लाभ है, कार्ड प्राप्त करना विधवा का लाभकारी अधिकार है। कोर्ट ने आगे कहा, “शुरुआत में, डिक्री एक पक्षीय डिक्री थी, जो असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर, कानून की नजर में कोई डिक्री नहीं है। आज की तारीख में ...तलाक की याचिका खारिज कर दी गई है, जैसे कि समाप्त कर दी गई है।''

कोर्ट ने आर लक्ष्मी बनाम के सरस्वथियाम्मल (1996) के मामले में शीर्ष अदालत के फैसले पर भरोसा किया। फैसले में कहा गया कि उत्तरदाताओं को पति की मृत्यु पर याचिकाकर्ता के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए थी, जो परिवार का एकमात्र कमाने वाला था..। कोर्ट ने फैसले में कहा कि विधवा की दुर्दशा और याचिका को प्रतिवादी द्वारा नजरअंदाज कर दिया गया, जिसे याचिकाकर्ता को अदालत में ले जाए बिना विधवा पहचान पत्र जारी करना चाहिए था, जैसा कि मांगा गया था।

कोर्ट ने कहा, "यह अदालत विधवा-याचिकाकर्ता के अदृश्य दर्द का निवारण किए बिना इस मामले के विशिष्ट तथ्यों पर अपने दरवाजे बंद नहीं करेगी।" तदनुसार, इसने याचिका दायर करने की अनुमति दी।

साइटेशनः 2024 लाइव लॉ (कर) 161

केस टाइटल: पर्वतम्मा और संयुक्त निदेशक

केस नंबर: रिट याचिका नंबर 416 ऑफ़ 2024

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