अंतर-देशीय गोद लेने वाले बच्चे के पिता को NOC जारी करने के लिए CARA को सूचित करना होगा: कर्नाटक हाइकोर्ट
कर्नाटक हाइकोर्ट ने इंटरकंट्री रिलेटिव एडॉप्शन के लिए गोद लेने की मांग करने वाले जोड़े को निर्देश दिया कि वह जर्मनी, जहां गोद लिए गए बच्चे के पिता रहते हैं, बच्चे को भारत से बाहर ले जाने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) और अनुरूपता सर्टिफिकेट (CC) जारी करने के लिए केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) से संपर्क करने के लिए याचिका दायर करें।
जस्टिस एम नागाप्रसन्ना की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा,
“यदि याचिकाकर्ताओं द्वारा मांगी गई राहत मान ली जाती है तो यह स्थापित प्रक्रिया के विपरीत होगा। इसलिए अंतर-देशीय गोद लेना आवश्यक रूप से प्रक्रिया के अनुरूप होना चाहिए।”
दंपति ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और प्रतिवादियों को यह निर्देश देने की मांग की कि वह दत्तक ग्रहण विनियमों के संदर्भ में अपने दत्तक बच्चे के पक्ष में अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) और अनुरूपता सर्टिफिकेट जारी करने के लिए 20-06-2023 को दिए गए उनके अभ्यावेदन पर विचार करें।
यह तर्क दिया गया कि गोद लेने के रजिस्ट्रेशन पर याचिकाकर्ताओं ने इसे जिला बाल संरक्षण इकाई के समक्ष प्रस्तुत करके बच्चे को गोद लेने के पक्ष में NOC और अनुरूपता सर्टिफिकेट जारी करने की मांग की।
यह तर्क दिया गया कि जिला बाल संरक्षण इकाई ने अनुरोध पर विचार नहीं किया और NOC और गोद लेने का अनुरूपता सर्टिफिकेट भी जारी नहीं किया।
उत्तरदाताओं ने यह कहते हुए याचिका का विरोध किया कि अंतर-देशीय गोद लेना बच्चों की सुरक्षा पर हेग कन्वेंशन का नियम है। इसके लिए याचिकाकर्ताओं को उस देश के सामने जाना होगा, जिसमें पिता रहता है। गोद लेने के नियमों के तहत भारतीय समकक्ष को मेल भेजना होगा। इसके बाद 10 दिन के अंदर इस देश में सर्टिफिकेट और एनओसी जारी कर दी जाएगी।
इसके अलावा यह प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता कठिनाई के किसी भी उदाहरण का हवाला देते हुए प्रक्रिया के उल्लंघन के अधिकार का दावा नहीं कर सकते, क्योंकि प्रक्रिया को विनियमों को पूरा करना होगा।
पीठ ने कहा कि भारत सहित कई देशों ने उक्त हेग सम्मेलन में भाग लिया। इसमें कहा गया कि सम्मेलन का उद्देश्य यह मानना है कि बच्चे को अपने व्यक्तित्व के पूर्ण और सामंजस्यपूर्ण विकास के लिए पारिवारिक वातावरण, खुशी, प्यार और समझ के माहौल में बड़ा होना चाहिए।
इसमें यह भी कहा गया कि सम्मेलन में यह भी माना गया कि अंतरदेशीय गोद लेने से ऐसे बच्चे को स्थायी परिवार का लाभ मिल सकता है, जिसके लिए उसके मूल राज्य में उपयुक्त परिवार नहीं मिल सकता।
इसके अलावा, यह नोट किया गया कि हेग कन्वेंशन के तहत धारा 68 के खंड (3) सपठित खंड (सी) के तहत और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 2
प्रदत्त शक्तियों के प्रयोग में 23-09-2022 को जारी अधिसूचना द्वारा भारत सरकार द्वारा कुछ नियमों को प्रख्यापित किया गया।
इन नियमों के तहत यह नोट किया गया कि बच्चे को विदेशी या भारतीय नागरिक कार्डधारक या यहां तक कि अनिवासी भारतीय भावी दत्तक माता-पिता के साथ गोद लेने की अनुमति देने के लिए प्राधिकरण द्वारा एक अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी करने की आवश्यकता होगी।
अदालत ने कहा,
''विनियमों के तहत जो प्रक्रिया निर्धारित की गई, उसका उद्देश्य ऐसी शर्त लगाना है, जिसे याचिकाकर्ताओं के मामले की खातिर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।''
इसके बाद इसने यह कहते हुए याचिका का निपटारा किया कि याचिकाकर्ताओं को एनओसी और अनुरूपता सर्टिफिकेट जारी करने के लिए भारत से संचार की मांग करने के लिए हेग कन्वेंशन के तहत जर्मनी में अधिकारियों से संपर्क करने की जरूरत है।
जर्मनी के उपरोक्त प्राधिकारी से उक्त संचार प्राप्त होने पर उपयुक्त प्राधिकारी CARA बिना किसी देरी के अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) और अनुरूपता प्रमाण पत्र जारी करता है।
अपीयरेंस
याचिकाकर्ताओं के लिए वकील- रोहन एस
प्रतिवादी की ओर वकील- एच. शांति भूषण।
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