LOC स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करने वाले ज़बरदस्त उपाय, इनका उपयोग तभी किया जाना चाहिए जब अभियुक्त जानबूझकर न्याय से बचता हो: जम्मू-कश्मीर हाइकोर्ट
भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे व्यवसायी के खिलाफ जारी लुक आउट सर्कुलर (LOC) रद्द करते हुए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाइकोर्ट ने कहा कि LOC नियमित उपाय नहीं हैं, बल्कि असाधारण उपकरण हैं, जिनका उपयोग केवल तब किया जाता है जब कोई आरोपी जानबूझकर न्याय से बचता है या भागने का जोखिम पैदा करता है।
जस्टिस सिंधु शर्मा की पीठ ने कहा,
“LOC किसी व्यक्ति को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर करने वाला उपाय है। इसके परिणामस्वरूप याचिकाकर्ता की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और स्वतंत्र आवाजाही के अधिकार में हस्तक्षेप होता है। यह उन मामलों में जारी किया जाता है, जहां आरोपी जानबूझकर समन गिरफ्तारी से बच रहा है, या जहां ऐसा व्यक्ति गैर-जमानती वारंट के बावजूद अदालत में पेश होने में विफल रहता है।”
याचिकाकर्ता अमन गहलोत का नाम 2019 में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा दायर प्रारंभिक एफआईआर में नहीं है। हालांकि बाद में मामले को संभालने वाली केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने आरोपी के रूप में शामिल किया। जबकि गहलोत ने जांच में सहयोग किया और जब भी आवश्यकता हुई अधिकारियों के सामने उपस्थित भी हुए। सीबीआई ने उनके खिलाफ LOC जारी की, जिससे उनकी विदेश यात्रा पर प्रभावी रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया।
LOC को चुनौती देते हुए गहलोत ने तर्क दिया कि यह संविधान द्वारा गारंटीकृत व्यक्तिगत स्वतंत्रता और मुक्त आंदोलन के उनके अधिकार का उल्लंघन करता है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि वह कभी भी समन या गिरफ्तारी से नहीं बचे हैं और जांच में सहयोग करने के लिए तैयार हैं।
जस्टिस शर्मा ने उपलब्ध रिकॉर्ड की जांच करने के बाद कहा कि LOC किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए महत्वपूर्ण परिणामों के साथ "जबरदस्ती के उपाय"। सुमेर सिंह सालकन बनाम सहायक निदेशक (2010) मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए, जिसमें LOC जारी करने के लिए सख्त दिशानिर्देश दिए गए। पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि LOC का उपयोग केवल असाधारण परिस्थितियों में किया जाना चाहिए, जहां इस बात की प्रबल आशंका हो कि आरोपी फरार हो सकता है।
गहलोत के मामले में अदालत को ऐसी कोई आशंका नहीं मिली, क्योंकि उन्होंने लगातार जांच में सहयोग किया। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि वह देश छोड़कर भाग जाएंगे।
अदालत ने कहा,
“प्रतिवादी द्वारा दायर जवाब में ऐसा कुछ भी नहीं कहा गया कि याचिकाकर्ता गिरफ्तारी से बच रहा है, या जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हो रहा है या समन जारी किया गया। याचिकाकर्ता उपस्थित नहीं हुआ है, या आरोपी के देश छोड़ने की कोई संभावना है। गिरफ्तारी या मुकदमे से बच रहें है। इस मामले में 24-11-2022 से मामले की सुनवाई पर रोक लगा दी गई।”
इसलिए अदालत ने उनकी यात्रा की तारीखों यात्रा कार्यक्रम और गंतव्य पते के बारे में सीबीआई को सूचित करने की शर्त के साथ LOC रद्द कर दी। याचिकाकर्ता को सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने या गवाहों को प्रभावित करने से परहेज करने का भी निर्देश दिया गया।
केस टाइटल- अमन गहलोत बनाम बनाम भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (मध्य कश्मीर) और अन्य।
साइटेशन- लाइव लॉ (जेकेएल) 7 2024
याचिकाकर्ता के वकील:वैभव सूरी और अरफात राशिद लोन।
प्रतिवादियों के लिए वकील- टी. एम. शम्सी, डीजीएसआई।
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