दिल्ली हाइकोर्ट ने क्रूरता के आधार पर व्यक्ति को ' नॉन एडजस्टिग वाइफ' से तलाक दे दिया

Update: 2024-01-24 07:10 GMT

दिल्ली हाइकोर्ट ने हाल ही में व्यक्ति को उसकी पत्नी द्वारा क्रूरता के आधार पर तलाक दे दिया, यह देखते हुए कि उसका "गैर-समायोजन रवैया" था और सार्वजनिक अपमान के बिना उसके साथ मतभेदों को सुलझाने की परिपक्वता नहीं थी, जिसके कारण उसे मानसिक पीड़ा हुई।

जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने कहा कि मरे हुए घोड़े को कोड़े मारने से कोई सार्थक उद्देश्य पूरा नहीं होगा और पति को तलाक दे दिया जाएगा।

अदालत ने कहा,

"वर्तमान मामले में रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्य यह स्पष्ट रूप से स्पष्ट करते हैं कि पक्षों के बीच कलह केवल विवाह की सामान्य टूट-फूट नहीं थी, बल्कि जब व्यापक रूप से देखा गया तो यह आवश्यक रूप से अपीलकर्ता के प्रति क्रूरता के कृत्य थे, जो वैवाहिक क्रूरता को कायम रखने का कृत्य संबंधों को जारी रखते हैं।”

खंडपीठ ने हिंदू विवाह अधिनियम 1955 (Hindu Marriage Act) की धारा 13(1)(ia) और 13(1)(ib) के तहत पत्नी से तलाक की मांग करने वाली पति की याचिका खारिज करते हुए फैमिली कोर्ट का आदेश रद्द कर दिया।

दोनों पक्षकारों ने 2001 में शादी कर ली और उनके विवाह से दो लड़कियों का जन्म हुआ। तलाक की याचिका 2017 में दायर की गई।

पति की अपील को स्वीकार करते हुए अदालत ने कहा कि हालांकि दोनों पक्षकारों लंबे समय से वैवाहिक रिश्ते में थे, लेकिन उनका वैवाहिक जीवन आनंदमय नहीं था, उथल-पुथल भरा था और वे अपने बीच कोई प्यार, स्नेह और विश्वास बनाने में सक्षम नहीं थे।

खंडपीठ ने कहा कि पत्नी ने अपने आचरण से दर्शाया है कि वह लगातार बिना किसी आधार के पति के खिलाफ आरोप लगाने पर अड़ी रही है।

अदालत ने आगे कहा,

“कानूनी उपायों का सहारा लेने को क्रूरता का कार्य नहीं कहा जा सकता है। हालांकि, कानूनी अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र का उपयोग करना प्रामाणिक और कुछ आधार के साथ होना चाहिए। दुर्भाग्य से, प्रतिवादी वर्तमान मामले में कथित दहेज उत्पीड़न या घरेलू हिंसा के आधार को साबित करने या उचित ठहराने में सक्षम नहीं है।”

अपीलकर्ता के वकील- रावी बीरबल।

प्रतिवादी के वकील- प्रतीक मेहता, अंशुल लूथरा और विकास।

केस टाइटल- एक्स बनाम वाई

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