मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जबरन वसूली की आरोपी महिला को जमानत देने से इनकार किया, ब्लैकमेल करने के लिए उसने कई लोगों के खिलाफ दर्ज कराए झूठे रेप केस

Update: 2024-04-05 07:17 GMT

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महिला के खिलाफ दर्ज जबरन वसूली के मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने नोट किया कि महिला के खिलाफ प्रत्यक्ष आरोप हैं। जस्टिस मनिंदर एस भट्टी की सिंगल जज बेंच ने माना कि केस डायरी में जबरन वसूली के स्पष्ट आरोप सामने आए हैं, जिसमें शिकायतकर्ता को आरोपी द्वारा 1,80,000/- रुपये देने की धमकी देना भी शामिल है।

कोर्ट ने महिला की ओर से दायर जमानत आवेदन को रिजेक्ट करते हुए कहा, “…. यह भी विवादित नहीं है कि वर्तमान आवेदक ने अलग-अलग व्यक्तियों के खिलाफ धारा 376 आईपीसी के तहत 5 मामले दर्ज किए हैं, जिनमें एक व्यक्ति के खिलाफ दो मामले शामिल हैं…जो, आवेदक के अनुसार, उसका पति है।”

इससे पहले, जनवरी 2023 में आईपीसी की धारा 384, 389, 452, 506 और 427 के तहत अपराध के लिए महिला के खिलाफ जबलपुर के ओमती पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी। आवेदक महिला के वकील विशाल डैनियल ने दलील दी कि उसे किसी भी प्रकार की कोई संपत्ति या मूल्यवान वस्तु नहीं दी गई, जिसका अर्थ है कि धारा 383 के अनुसार जबरन वसूली का कोई मामला नहीं बनता है, जैसा कि इसाक इसंगा मुसुम्बा और अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य (2014) में निर्धारित है।

वकील ने कहा, यह कहा गया कि महिला ने शिकायतकर्ता के घर में तोड़फोड़ करने का भी प्रयास नहीं किया, जैसा कि अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया है, और इसलिए धारा 452 के तहत अपराध नहीं बनता। वकील ने आगे कहा कि आवेदक ने खुद अपने पति के खिलाफ चार मामले दर्ज किए हैं और वह फरवरी 2024 से हिरासत में है।

दूसरी ओर, आपत्तिकर्ता/शिकायतकर्ता की ओर से पेश सरकारी वकील सीएस परमार और वकील अमन डावरा ने दलील दी कि आवेदक ने विभिन्न व्यक्तियों के खिलाफ बार-बार तुच्छ मामले दायर किए हैं, जो ट्रायल कोर्ट द्वारा उसकी जमानत याचिका को खारिज करने का आधार बना। वकीलों ने तर्क दिया कि महिला ने पहले भी कई लोगों को ब्लैकमेल किया है और उनके खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज की है।

वकीलों ने पीठ को ये भी बताया कि वर्तमान मामले में, शिकायतकर्ता की दुकान में तोड़फोड़ करने वाले आरोपियों का कृत्य सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया है। इन दलीलों के मद्देनज़र अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया।

केस नंबर: Misc. Criminal Case No. 11714 Of 2024

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