एजी के साथ आशिष्टता: कलकत्ता हाईकोर्ट के 250 से अधिक वकीलों ने जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय के खिलाफ चीफ जस्टिस को पत्र लिखा

Update: 2024-01-31 03:15 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट के 250 से अधिक अधिवक्ताओं ने जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय की ओर से न्यायिक कार्यवाही के दरमियान पश्चिम बंगाल राज्य के महाधिवक्ता के प्रति दिखाई गई शिष्टाचार की कथित कमी विरोध में 25 जनवरी 2024 चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम को पत्र लिखा है।

विचाराधीन कार्यवाही पश्चिम बंगाल में मेडिकल कॉलेजों में अनुचित प्रवेश से संबंधित है। यह तब विवाद के केंद्र में थी जब जस्टिस गंगोपाध्याय ने सीबीआई जांच के अपने निर्देश पर एक खंडपीठ के स्थगन आदेश को नजरअंदाज कर दिया था।

इसके चलते मामले को सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान में लिया, जिसने मामले की सभी कार्यवाही पर रोक लगा दी और मामले को अपने पास स्थानांतरित कर लिया।

पत्र में महाधिवक्ता को बार कर लीडर कहा गया है और कहा गया है कि 25 जनवरी की सुनवाई में जस्टिस गंगोपाध्याय को खंडपीठ के स्थगन आदेश के बारे में बताया गया तो वे क्रोधित हो गए और उन्होंने महाधिवक्ता के बारे में बेहद अशोभनीय और अपमानजनक टिप्पणियां कीं... और एजी के चरित्र, नैतिकता और सत्यनिष्ठा पर आक्षेप लगाये।"

पत्र में कहा गया है, "उक्त टिप्पणियां अकारण और अनावश्यक थीं... जस्टिस गंगोपाध्याय ने महाधिवक्ता पर अपमान और आक्षेप लगाकर मर्यादा की सभी सीमाओं का उल्लंघन किया।"

पत्र में संविधान के अनुच्छेद 165 के तहत एजी को राज्य का संवैधानिक पदाधिकारी होने का हवाला दिया गया है और कहा गया है कि एजी का अपमान करके जस्टिस गंगोपाध्याय ने संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा की कमी का संकेत दिया है।

यह पहली बार नहीं है जब जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय की बार के सदस्यों के साथ झड़प हुई है; हाल के दिनों में विवादों का सिलसिला बढ़ा है।

पत्र पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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