
गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस संदीप एन भट्ट ने मंगलवार (21 जनवरी) को पत्रकार महेश लांगा की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया जिसमें उन्होंने कथित भ्रष्टाचार,आपराधिक साजिश और चोरी के लिए उनके खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने की मांग की थी जिसमें उन पर अत्यधिक गोपनीय सरकारी दस्तावेज हासिल करने का आरोप है
मामले की सुनवाई हुई तो जस्टिस भट्ट ने मौखिक रूप से कहा,
"मेरे सामने नहीं।"
याचिका में गांधीनगर पुलिस स्टेशन में बीएनएस धारा 316(5), 303(2), 306, 61(2) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7(ए), 8, 12, 13(1)(ए), 13(2) के तहत दर्ज FIR रद्द करने और उसे रद्द करने की मांग की गई।
याचिका में दावा किया गया कि FIR में आरोप लगाया गया कि लांगा ने गुजरात मैरीटाइम बोर्ड (GMB) से कुछ अत्यधिक गोपनीय दस्तावेज प्राप्त किए, जबकि ऐसे दस्तावेजों को संरक्षित करने की जिम्मेदारी संबंधित विभाग के कर्मचारियों की है।
आरोप लगाया गया कि ये दस्तावेज GMB के अज्ञात कर्मचारी द्वारा अनधिकृत चैनल के माध्यम से लांगा को प्राप्त हुए थे। इन्हें जन सूचना अधिकारी द्वारा उपलब्ध नहीं कराया गया और न ही ये सार्वजनिक डोमेन पर उपलब्ध थे।
याचिका में दावा किया गया कि आरोप अनुमान पर आधारित हैं और प्रथम दृष्टया लांगा की संलिप्तता स्थापित नहीं करते हैं।
केस टाइटल: महेशदान प्रभुदान लांगा बनाम गुजरात राज्य और अन्य।