अनजान महिला से नाम और पता पूछना अनुचित, प्रथम दृष्टया यौन उत्पीड़न नहीं: गुजरात हाईकोर्ट
गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि किसी अनजान महिला से नाम, पता और मोबाइल नंबर पूछना अनुचित हो सकता है, प्रथम दृष्टया भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354ए के तहत यौन उत्पीड़न नहीं माना जा सकता।
यह टिप्पणी जस्टिस निरजर देसाई ने गांधीनगर के व्यक्ति समीर रॉय से जुड़े मामले में की, जिस पर अनजान महिला से ये सवाल पूछने के आरोप में आईपीसी की धारा 354ए के तहत मामला दर्ज किया गया था।
जस्टिस देसाई ने कहा,
“यह अनुचित कार्य हो सकता है लेकिन यह न्यायालय प्रथम दृष्टया इस विचार पर है कि यदि IPC की धारा 354 को पढ़ा जाए तो यौन उत्पीड़न और यौन उत्पीड़न के लिए सजा के संबंध में भी यही बात लागू होती है। आरोपित एफआईआर में याचिकाकर्ता के खिलाफ IPC की धारा 354ए के तहत अपराध दर्ज किया गया। इसलिए प्रथम दृष्टया भले ही एफआईआर को सही माना जाए। याचिकाकर्ता द्वारा किसी अज्ञात महिला से नाम पता आदि पूछना अनुचित कृत्य कहा जा सकता है लेकिन एफआईआर में वर्णित तथ्यों को देखते हुए इस अदालत के प्रथम दृष्टया अवलोकन के अनुसार यह यौन उत्पीड़न नहीं माना जाएगा।”
महिला ने 26 अप्रैल को एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें रॉय पर कथित तौर पर उसके व्यक्तिगत विवरण पूछने के लिए यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया। रॉय ने दावा किया कि एफआईआर PMO पोर्टल पर 25 अप्रैल को की गई उनकी शिकायत का जवाबी हमला था, जिसमें पुलिस अत्याचार का आरोप लगाया गया। 9 मई को रॉय ने कहा कि उन्हें पता चला कि पुलिस अधीक्षक ने 26 अप्रैल की एफआईआर के लंबित होने का हवाला देते हुए उनकी शिकायत पर विचार करने से इनकार किया।
अदालत ने रॉय पर यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज करने में पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा,
"मान लीजिए अगर कोई आपसे कहे कि आपका नंबर क्या है तो यह अपमानजनक हो सकता है लेकिन यह अच्छा मामला नहीं हो सकता। यहां ऐसा कुछ नहीं है, जो आपको एफआईआर दर्ज करने के लिए प्रेरित करे। क्या यह किसी दुर्भावना को दर्शाता है?"
अदालत ने अब प्रतिवादियों को 9 अगस्त को जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया।
केस टाइटल- समीर रॉय बनाम गुजरात राज्य और अन्य।