नारायण साई की अस्थायी ज़मानत याचिका पर आदेश पारित करेगा गुजरात हाईकोर्ट

Update: 2025-09-18 11:11 GMT

गुजरात हाईकोर्ट ने गुरुवार (18 सितंबर) को यह संकेत दिया कि वह बलात्कार मामले में उम्रकैद की सज़ा काट रहे नारायण साई की उस अर्जी पर आदेश पारित करेगा, जिसमें उन्होंने अपनी बीमार मां से मिलने के लिए अस्थायी ज़मानत की मांग की।

नारायण साई को 2019 में सूरत की सेशंस कोर्ट ने दोषी ठहराकर उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी। उन्होंने दलील दी कि उनकी माँ की तबीयत नाज़ुक है और उन्हें कभी भी कार्डियक अरेस्ट आ सकता है। उनकी ओर से कहा गया कि इससे पहले भी इसी आधार पर अदालत उन्हें अस्थायी ज़मानत दे चुकी है।

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस ईलेश वोरा और जस्टिस पी.एम. रावल की खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा,

“हम साफ़ हैं। अगर मां से मिलने की बात है तो 2-3 दिन दे सकते हैं, लेकिन 55 दिन नहीं। आपकी पूरी दलील आपकी माँ की गंभीर स्थिति पर आधारित है।”

अदालत ने यह भी जानकारी मांगी कि जून में पारित अपने आदेश में जब नारायण साई को उनके पिता आसाराम बापू से मिलने के लिए अस्थायी ज़मानत दी गई तब कौन-सी शर्तें लगाई गईं। उस समय अदालत ने उन्हें पांच दिन की अस्थायी राहत दी और स्पष्ट किया कि वह अपने पिता या अनुयायियों से समूह में मुलाक़ात नहीं कर सकते।

नारायण साई की ओर से इस बार 25 दिन की अस्थायी ज़मानत मांगी गई, जिस पर सुनवाई के बाद खंडपीठ ने कहा,

“हम आदेश पारित करेंगे।”

उल्लेखनीय है कि साई 2013 से जेल में बंद हैं। सूरत की सेशंस कोर्ट ने उन्हें भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं, जिनमें बलात्कार, अप्राकृतिक यौन अपराध, महिला की अस्मिता भंग करने और आपराधिक धमकी शामिल हैं, के तहत दोषी ठहराया था।

इससे पहले जून में हाईकोर्ट ने मानवीय आधार पर उनके पिता आसाराम बापू की बिगड़ती तबीयत को देखते हुए उन्हें पांच दिन की अस्थायी ज़मानत दी थी।

गौरतलब है कि आसाराम बापू स्वयं भी दुष्कर्म मामलों में दोषी हैं और अलग-अलग जेलों में सज़ा काट रहे हैं। राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में उन्हें 30 अगस्त तक आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था।

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