सरकारी सहायता प्राप्त लॉ संस्थानों के कामकाज को सुव्यवस्थित करने और CBI मानकों के अनुपालन करने की मांग को लेकर गुजरात हाईकोर्ट में याचिका

Update: 2024-10-21 08:12 GMT

राज्य में सरकारी सहायता प्राप्त लॉ संस्थानों द्वारा विधि शिक्षा नियम 2008 के तहत बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) द्वारा निर्धारित न्यूनतम मानक का अनुपालन न करने के संबंध में गुजरात हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर की गई।

उठाए गए मुद्दे पर ध्यान देते हुए चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस प्रणव त्रिवेदी की खंडपीठ ने अपने आदेश में निर्देश दिया कि मामले को एडवोकेट जनरल के संज्ञान में लाया जाए।

खंडपीठ ने कहा,

"यह दलील दी गई कि वर्तमान याचिका में उठाया गया मुद्दा गुजरात राज्य में एक दशक पहले स्थापित सरकारी सहायता प्राप्त लॉ कॉलेज के कामकाज को सुव्यवस्थित करने के बारे में है। हमारे समक्ष उठाए गए मुद्दों को ध्यान में रखते हुए हम यह प्रावधान करते हैं कि इस मामले को एडवोकेट जनरल के संज्ञान में लाया जाए, जिससे वे अगली निर्धारित तिथि पर उपस्थित हो सकें।"

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश सीनियर वकील ने दलील दी कि अधिकांश सहायता प्राप्त संस्थान सार्वजनिक ट्रस्टों या पंजीकृत समितियों द्वारा संचालित हैं। 50 से 75 वर्षों से अस्तित्व में हैं। दलील दी गई कि इन सुस्थापित कॉलेज को BCI के विधि शिक्षा नियमों द्वारा निर्धारित वर्तमान मानकों को पूरा करने के लिए अपग्रेड किए जाने की आवश्यकता है। यह तर्क दिया गया कि इन संस्थानों पर भारी जुर्माना लगाने की बार काउंसिल की प्रथा उनके संचालन में बाधा डाल रही है।

दलील दी गई कि परिणामस्वरूप इस शैक्षणिक वर्ष में स्टूडेंट के एडमिशन में उल्लेखनीय गिरावट आई है, जिसके कारण इन कॉलेज में गिरावट आई। हाल के वर्षों में स्व-वित्तपोषित लॉ कॉलेज में वृद्धि हुई।

मामला अब 23 अक्टूबर को सूचीबद्ध है।

केस टाइटल: मयूरध्वजसिंह लक्ष्मणसिंह राहेवर एवं अन्य बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया एवं अन्य

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