गुजरात हाईकोर्ट ने वकीलों की सूची में एनरोलमेंट न किए जाने के खिलाफ 29 लॉ ग्रेजुएट की याचिका पर राज्य बार काउंसिल से जवाब मांगा
गुजरात हाईकोर्ट ने सोमवार (9 सितंबर) को कई लॉ ग्रेजुएट्स द्वारा दायर याचिका पर गुजरात बार काउंसिल से जवाब मांगा, जिसमें राज्य बार निकाय को वकीलों की सूची में एनरोलमेंट के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी बशर्ते कि वे अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) उत्तीर्ण करें।
जस्टिस संगीता के. विशेन की एकल पीठ ने गुजरात बार काउंसिल, बार काउंसिल ऑफ इंडिया, गुजरात यूनिवर्सिटी, मोतीलाल नेहरू लॉ कॉलेज और गुजरात राज्य सहित प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया।
मामला 17 सितंबर को सूचीबद्ध है।
यह याचिका मोतीलाल नेहरू लॉ कॉलेज के 29 लॉ ग्रेजुएट्स द्वारा दायर की गई, जिन्होंने तीन वर्षीय LLB कार्यक्रम के तहत अध्ययन किया। याचिका में कहा गया कि कॉलेज गुजरात यूनिवर्सिटी तीन वर्षीय LLB कार्यक्रम एडमिशन नियम 2021 द्वारा अनुमोदित कानूनी शिक्षा का केंद्र है।
इसमें कहा गया कि 2021 में गुजरात यूनिवर्सिटी ने केंद्रीय प्रवेश परीक्षा आयोजित की थी। याचिकाकर्ताओं को कॉलेज में एडमिशन दिया गया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्होंने तत्कालीन नियमों के अनुसार एनरोलमेंट फीस के लिए आवेदन भी किया और भुगतान भी किया।
याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता कॉलेज की फीस में बार काउंसिल ऑफ इंडिया को भी शुल्क दे रहे थे।
इसमें कहा गया कि प्रतिवादियों द्वारा एडमिशन प्रक्रिया और इसे पूरा करने के खिलाफ कोई आपत्ति नहीं थी।
याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ताओं ने एडवोकेट एक्ट 1961 और उसके तहत बनाए गए नियमों के अनुसार फीस का भुगतान करके और फॉर्म भरकर राज्य बार काउंसिल की रोल पर वकील के रूप में नामांकन के लिए आवेदन किया था।
याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ताओं के आवेदन लंबित हैं। राज्य बार काउंसिल द्वारा कोई कारण या औचित्य बताए बिना कोई कार्रवाई नहीं की गई।
याचिका में कहा गया कि 30 जुलाई को याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रतिवादियों को एक पत्र भी भेजा गया, जिसका उत्तर भी नहीं दिया गया।
याचिका में कहा गया कि बिना किसी स्पष्ट कारण के याचिकाकर्ताओं को राज्य बार काउंसिल द्वारा बनाए गए वकीलों की सूची में शामिल नहीं किया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं के पास प्रैक्टिस का प्रमाण पत्र भी नहीं है।
याचिका में कहा गया कि इस तरह की निष्क्रियता से AIBE में वरिष्ठता के अधिकार प्रैक्टिस के अधिकार और अस्तित्व के साथ-साथ उपस्थित होने के अधिकार पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा जबकि इसमें उनकी कोई गलती नहीं है।
अन्य राहतों के अलावा याचिका में मांग की गई कि न्यायालय समक्ष याचिका की एडमिशन सुनवाई और अंतिम निपटान लंबित रहने तक याचिकाकर्ताओं को प्रतिवादियों को प्रैक्टिस का अनंतिम प्रमाण पत्र प्रदान करने का निर्देश देकर AIBE में उपस्थित होने की अनुमति दी जाए।
केस टाइटल- सैय्यद महम्मदजुबर युनुसभाई और अन्य बनाम बार काउंसिल ऑफ गुजरात और अन्य।