गुवाहाटी हाईकोर्ट का फैसला : राज्य सूचना आयुक्त को मुख्य सचिव के समान वेतन और सेवानिवृत्ति लाभ मिलेंगे

Update: 2025-09-05 07:08 GMT

गुवाहाटी हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने स्पष्ट किया कि राज्य सूचना आयुक्त को मुख्य सचिव के बराबर वेतन भत्ते और सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले लाभ का अधिकार है। अदालत ने कहा कि इन लाभों को केवल इस आधार पर नहीं रोका जा सकता कि पदाधिकारी के पास 10 वर्ष की आवश्यक सेवा नहीं है, विशेषकर तब जब वह पहले से केंद्रीय सिविल सेवा नियमों के तहत पेंशन प्राप्त कर रहा हो।

चीफ जस्टिस अशुतोष कुमार और जस्टिस अरुण देव चौधरी की खंडपीठ ने यह फैसला उस अपील पर दिया, जिसमें असम सरकार ने सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती दी थी। मामले में प्रतिवादी पिनुएल बसुमातरी को 31 जुलाई, 2015 को राज्य सूचना आयुक्त नियुक्त किया गया। उन्होंने दिसंबर, 2019 तक पद संभाला। इससे पहले वे भारतीय लेखा एवं लेखा परीक्षा सेवा के सदस्य रहे और असम में प्रधान महालेखाकार (A&E) के कार्यालय में ओएसडी के रूप में रिटायर हुए। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने सूचना आयुक्त के रूप में मुख्य सचिव के समान लाभ की मांग की थी।

राज्य सरकार का तर्क था कि बसुमातरी ने 10 वर्षों की सेवा पूरी नहीं की, इसलिए उन्हें अतिरिक्त पेंशन, ग्रेच्युटी, टेलीफोन और सुरक्षा सहायक जैसी सुविधाएं नहीं मिल सकतीं। सरकार ने इकेन रिबा बनाम राज्य अरुणाचल प्रदेश मामले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि मुख्य सचिव पद से जुड़े लाभ स्वतः सूचना आयुक्त को नहीं दिए जा सकते। दूसरी ओर, प्रतिवादी ने दलील दी कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 16(5) उन्हें यह अधिकार प्रदान करती है।

अदालत ने माना कि चूंकि नियुक्ति 2015 में हुई, इसलिए अधिनियम का संशोधन-पूर्व संस्करण लागू होगा। इस प्रावधान के अनुसार राज्य सूचना आयुक्त को मुख्य सचिव के समान वेतन और भत्ते मिलेंगे। खंडपीठ ने यह भी कहा कि इन लाभों का हकदार होना केवल मुख्य सचिव के पद पर कार्यरत रहने की शर्त पर निर्भर नहीं है। बसुमातरी चूंकि पहले से केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन नियम 1972 के तहत पेंशन ले रहे हैं, ऐसे में उनके लिए अतिरिक्त 10 वर्षों की सेवा आवश्यक नहीं है।

इस आधार पर अदालत ने माना कि एकल पीठ का आदेश सही था और अपील को खारिज कर दिया।

केस टाइटल : State of Assam and Ors. बनाम Pinuel Basumatary

Tags:    

Similar News