गुवाहाटी हाइकोर्ट ने मुस्लिम विवाह एवं तलाक अधिनियम निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा

Update: 2024-04-29 07:33 GMT

गुवाहाटी हाइकोर्ट ने हाल ही में असम सरकार से 24 जून तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा, जिसमें असम मुस्लिम विवाह एवं तलाक पंजीकरण अधिनियम 1935 (Assam Muslim Marriages and Divorces Registration Act of 1935) निरस्त करने को चुनौती दी गई।

चीफ जस्टिस विजय बिश्नोई और जस्टिस सुमन श्याम की खंडपीठ ने ऑल असम मुस्लिम विवाह एवं तलाक रजिस्ट्रार और काजी एसोसिएशन द्वारा दायर रिट याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया।

सेंटिनल ने रिपोर्ट की,

“याचिकाकर्ताओं ने बताया कि विवाह एवं तलाक अधिनियम को निरस्त करने से एक शून्य पैदा हो गया, क्योंकि वर्तमान में मुस्लिम विवाह या तलाक को नियंत्रित करने वाला कोई कानून अस्तित्व में नहीं है। याचिकाकर्ता के वकील ने चिंता व्यक्त की कि ऐसी स्थिति में बाल विवाह बढ़ सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि असम मुस्लिम विवाह एवं तलाक पंजीकरण अधिनियम 1935 को राज्य सरकार द्वारा 15 मार्च, 2024 को पारित अध्यादेश द्वारा निरस्त कर दिया गया।

सेंटिनल की रिपोर्ट के अनुसार याचिकाकर्ताओं द्वारा मामले पर अंतरिम आदेश मांगा गया था जिससे वे कानूनी उम्र के पुरुषों और महिलाओं के बीच विवाह और तलाक के लिए भी सक्षम हो सकें, लेकिन खंडपीठ ने चल रहे लोकसभा चुनावों के कारण लागू आदर्श आचार संहिता का हवाला देते हुए अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया।

न्यायालय ने कहा,

"प्रतिवादियों के वकील पहले से ही रिट याचिका की कॉपी प्राप्त कर चुके हैं। वे सुनवाई की अगली तारीख तक रिट याचिका पर अपना जवाब दाखिल कर सकते हैं।"

मामला 24 जून को फिर से सूचीबद्ध है।

केस टाइटल: ऑल असम मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स रजिस्ट्रार एंड काजी एसोसिएशन बनाम असम राज्य और 3 अन्य।

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