उमरंगसो कोयला खदान में मौतें: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया, अवैध खनन गतिविधियों पर असम सरकार से रिपोर्ट मांगी
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने मंगलवार (28 जनवरी) को असम के दीमा हसाओ जिले के उमरंगसो में हुई कोयला खदान त्रासदी पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका पर राज्य अधिकारियों को नोटिस जारी किया।
चीफ जस्टिस विजय बिश्नोई और जस्टिस कौशिक गोस्वामी की खंडपीठ ने राज्य के प्रतिवादियों को जनहित याचिका पर अपना जवाब और असम राज्य में रैट-होल कोयला खनन की प्रथा को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा की गई कार्रवाई के बारे में नवीनतम स्टेटस रिपोर्ट 7 फरवरी तक दाखिल करने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने विभिन्न रिपोर्टों पर ध्यान दिया, जो बताती हैं कि उमरंगसो क्षेत्र में लगभग 200 से अधिक रैट-होल खदानें चल रही हैं। न्यायालय ने इस बात पर भी गौर किया कि असम राज्य के कार्बी आंगलोंग जिले में रैट-होल खनन बड़े पैमाने पर हो रहा है और या तो इस पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है या फिर इसकी जानकारी होने के बावजूद अधिकारी इन रैट-होल खदानों को रोकने या बंद करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
ध्यान देने वाली बात यह है कि उमरंगसो में कथित अवैध कोयला खनन अभियान जिसके परिणामस्वरूप 6 जनवरी को एक दुर्घटना हुई में कम से कम नौ मजदूरों के एक परित्यक्त खदान के अंदर फंसे होने की आशंका है। कथित तौर पर चार शव बरामद किए गए हैं।
16 जनवरी को असम के मुख्यमंत्री ने इस घटना की न्यायिक जांच की घोषणा की थी, जिसका नेतृत्व रिटायर गुवाहाटी हाईकोर्ट की जज जस्टिस अनिमा हजारिका करेंगी।
न्यायालय ने कहा,
"प्रतिवादियों की ओर से उपस्थित वकील जनहित याचिका (स्वतः संज्ञान) पर अपना जवाब और असम राज्य में रैट-होल कोयला खनन की प्रथा को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा की गई कार्रवाई के बारे में नवीनतम स्थिति रिपोर्ट अगली सुनवाई की तारीख तक दाखिल कर सकते हैं।"
यह मामला 7 फरवरी को फिर से सूचीबद्ध है।
केस टाइटल: री-दीमा हसाओ ट्रेजडी बनाम मुख्य सचिव एवं 6 अन्य।