विदेशी न्यायाधिकरण में केस रिकॉर्ड रखने की अव्यवस्थित प्रणाली पर असम सरकार को फटकार: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित करने का निर्देश दिया

Update: 2025-06-23 07:12 GMT

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असम राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह विदेशी न्यायाधिकरणों (Foreigners Tribunals) के सदस्यों और अधीक्षकों के लिए केस रिकॉर्ड के समुचित रख-रखाव पर ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित करने पर विचार करे।

यह आदेश जस्टिस कल्याण राय सुराणा और जस्टिस मालस्री नंदी की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया, जिसमें नागांव स्थित विदेशी न्यायाधिकरण द्वारा याचिकाकर्ता को विदेशी घोषित किए जाने की राय को चुनौती दी गई थी।

कोर्ट ने कहा,

"केस नंबर FT 2451/2011 की फाइलें जिस अव्यवस्थित ढंग से रखी गईं, उसे देखकर कोर्ट रजिस्ट्री को निर्देश देती है कि इस आदेश की एक प्रति असम सरकार के गृह व राजनीतिक विभाग के आयुक्त व सचिव को भेजी जाए ताकि रिकॉर्ड संधारण पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा सके।"

कोर्ट ने कहा,

कोर्ट ने पाया कि केस रिकॉर्ड इतने अव्यवस्थित थे कि दस्तावेज़ और साक्ष्य तलाशने में कोर्ट को निजी सचिवों की सहायता से दो घंटे से अधिक का समय लग गया।

साक्ष्य और दस्तावेज़ फाइल में इधर-उधर बिखरे पड़े थे। ऑर्डरशीट का एक भाग पृष्ठ 1–25 पर था, जबकि दूसरा भाग पृष्ठ 94–97 पर।

कोर्ट ने इसे एक समय खपत करने वाली प्रक्रिया बताते हुए गंभीर चिंता व्यक्त की।

मामले की पृष्ठभूमि

याचिकाकर्ता गोबिंद साहा @ चंद्रहास साहा को पहले अनुपस्थित रहने के कारण 2015 में एक्स-पार्टी विदेशी घोषित कर दिया गया। हाईकोर्ट ने 2018 में इस निर्णय को रद्द कर दिया, जिसके बाद उन्होंने ट्राइब्यूनल में साक्ष्य प्रस्तुत किए।

परंतु रिकॉर्ड संधारण की खामियों ने न्याय प्रक्रिया को बाधित किया।

केस टाइटल: Gobinda Saha @ Chandrahas Saha बनाम भारत संघ एवं अन्य

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