यमुना में केवल शुद्ध जल ही छोड़ा जाए: दिल्ली हाईकोर्ट ने DJB और MCD से कार्य-योजना मांगी

Update: 2025-08-01 12:56 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने यमुना नदी में शुद्ध जल के अलावा किसी भी प्रकार के अपशिष्ट जल के प्रवाह पर गंभीर चिंता जताते हुए दिल्ली जल बोर्ड (DJB) और दिल्ली नगर निगम (MCD) को निर्देश दिया कि वे इस विषय पर एक संयुक्त रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

कोर्ट ने यह रिपोर्ट एक विशेष समिति द्वारा दायर निरीक्षण रिपोर्ट के आलोक में मांगी है, जिसमें यह उजागर किया गया कि दिल्ली के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STPs) से अब भी अनुपचारित यानी बिना शुद्ध किया गया जल सीधे यमुना में छोड़ा जा रहा है।

जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने विशेष समिति की रिपोर्ट का अवलोकन करते हुए कहा कि राजधानी में यमुना नदी की सफाई और संरक्षण के लिए नगर निकायों द्वारा बहुत बड़े स्तर पर कार्य किया जाना अभी भी शेष है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यमुना में केवल शुद्ध और मानक के अनुरूप उपचारित जल ही छोड़ा जाना चाहिए। इसके लिए एक विस्तृत और प्रभावी कार्ययोजना की आवश्यकता है। रिपोर्ट से यह भी पता चला कि कई जगहों पर ट्रीटमेंट प्लांट्स पूरी तरह कार्यरत नहीं हैं या मानकों पर खरे नहीं उतरते, जिससे सीधे गंदा पानी नदी में जा रहा है।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में केवल DJB और MCD ही नहीं, बल्कि दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (DSIIDC), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) और अन्य आवश्यक एजेंसियों की भी जवाबदेही बनती है।

अदालत ने इन सभी एजेंसियों के साथ विशेष समिति की एक संयुक्त बैठक 7 अगस्त को आयोजित करने के निर्देश दिए हैं, जिसमें सभी संबंधित अधिकारी भाग लेंगे।

इसके बाद DJB और MCD को मिलकर एक संयुक्त रिपोर्ट के साथ साथ विस्तृत कार्य योजना अदालत में दाखिल करनी होगी, जिसमें रिपोर्ट में चिन्हित कमियों और जरूरी सुधारों की जानकारी दी जाएगी।

इस मामले की पृष्ठभूमि एक स्वत: संज्ञान याचिका है, जिसे कोर्ट ने वर्ष 2022 में उस समय दायर किया था जब एक समाचार पत्र में दिल्ली में मानसून के दौरान जलभराव और वर्षा जल संचयन के प्रति सरकारी लापरवाही को लेकर एक लेख प्रकाशित हुआ था।

इसके बाद अदालत ने मई, 2024 में एक विशेष समिति गठित की, जिसे दिल्ली के 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स का निरीक्षण कर रिपोर्ट देने को कहा गया।

इससे पहले भी हाईकोर्ट ने टिप्पणी की थी कि दिल्ली की जल निकासी व्यवस्था पूरी तरह से असंतोषजनक है और राजधानी में स्थित कई STPs मानकों के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं।

कोर्ट का यह रुख यमुना के संरक्षण के प्रति उसकी गंभीरता को दर्शाता है। यह आदेश उन एजेंसियों के लिए चेतावनी स्वरूप है, जो अब तक अपनी जिम्मेदारियों का समुचित निर्वहन नहीं कर रही हैं।

टाइटल : Court On Its Own Motion v. Govt. of NCT of Delhi & Ors.

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