सार्वजनिक रूप से माफ़ी न मांगने के पीछे क्या वजह है?: दिल्ली हाईकोर्ट ने लक्ष्मी पुरी द्वारा मानहानि मामले में साकेत गोखले से पूछा

Update: 2025-03-28 09:54 GMT
सार्वजनिक रूप से माफ़ी न मांगने के पीछे क्या वजह है?: दिल्ली हाईकोर्ट ने लक्ष्मी पुरी द्वारा मानहानि मामले में साकेत गोखले से पूछा

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले से पूछा कि संयुक्त राष्ट्र में भारत की पूर्व सहायक महासचिव लक्ष्मी पुरी द्वारा उनके खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे में न्यायालय द्वारा निर्देशित सार्वजनिक रूप से माफ़ी न मांगने के पीछे उनका क्या कारण है?

जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने गोखले के वकील से पूछा कि चूंकि न्यायिक निर्देश पर कोई रोक नहीं है, इसलिए माफ़ी अब तक प्रकाशित क्यों नहीं की गई।

जज ने पूछा,

"जब [निर्णय पर] कोई रोक नहीं है, तो माफ़ी न मांगने के पीछे आपका क्या कारण है?"

यह घटनाक्रम पुरी की याचिका में पिछले साल 01 जुलाई को एक समन्वय पीठ द्वारा पारित फैसले के क्रियान्वयन की मांग के बाद हुआ। गोखले को चार सप्ताह के भीतर सोशल मीडिया पर माफ़ी मांगने और पुरी को 50 लाख रुपये का हर्जाना देने के लिए कहा गया।

सुनवाई के दौरान गोखले के वकील ने न्यायालय को बताया कि विचाराधीन निर्णय को वापस लेने की उनकी अर्जी समन्वय पीठ के समक्ष लंबित है तथा 15 अप्रैल को इस पर सुनवाई होनी है। उन्होंने अनुरोध किया कि मामले को उक्त तिथि के बाद सूचीबद्ध किया जाए। इस पर पुरी की ओर से उपस्थित सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने न्यायालय को बताया कि समन्वय पीठ ने केवल गोखले की विलंब क्षमा अर्जी पर नोटिस जारी किया, न कि आदेश को वापस लेने की उनकी मुख्य अर्जी पर।

न्यायालय को यह भी बताया गया कि 01 जुलाई, 2024 के निर्णय पर कोई रोक नहीं लगाई गई। गोखले के वकील ने न्यायालय को बताया कि पिछले आदेश के अनुसरण में उन्होंने अपनी संपत्ति तथा देनदारियों का खुलासा करते हुए तथा सभी बैंक खातों के विवरण का संकलन करते हुए हलफनामा दायर किया। हालांकि सिंह ने प्रस्तुत किया कि हलफनामा गोखले द्वारा चुनिंदा रूप से दायर किया गया था तथा इसमें बहुत कमियां थीं।

उन्होंने प्रस्तुत किया कि हलफनामा सार्वजनिक डोमेन में पहले से उपलब्ध चल तथा अचल संपत्तियों का खुलासा करने में विफल रहा। सिंह ने आगे कहा कि गोखले की ओर से की गई चूक CPC के आदेश 21 नियम 41 (3) के तहत कार्रवाई योग्य है।

जब गोखले के वकील ने अनुरोध किया कि मामले को 15 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया जाए तो अदालत ने कहा,

“अगर 15 अप्रैल को कुछ नहीं होता है तो आपको माफ़ी सार्वजनिक करनी होगी, है न?”

जज ने कहा,

“अगर आपके पास स्थगन नहीं है तो आपके पास माफ़ी प्रकाशित न करने का विकल्प नहीं है, है न?…मैं इसे [24 अप्रैल] तक रखूंगा। अगर कोई स्थगन नहीं है तो आप माफ़ी प्रकाशित करेंगे।”

अब मामले की सुनवाई 24 अप्रैल को होगी।

पुरी ने स्विटजरलैंड में उनके द्वारा खरीदी गई संपत्ति का जिक्र करते हुए गोखले के ट्वीट से व्यथित होकर मानहानि का मुकदमा दायर किया था। ट्वीट में गोखले ने अपनी और अपने पति, केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी की संपत्ति के बारे में सवाल उठाए। उन्होंने ट्वीट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भी टैग किया और ED जांच की मांग की।

निर्णय में समन्वय पीठ ने पुरी के पक्ष में मुकदमा तय करते हुए गोखले से टाइम्स ऑफ इंडिया में माफ़ी मांगने को कहा। उन्हें अपने ट्विटर हैंडल पर माफ़ी मांगने का भी निर्देश दिया गया, जिसे 6 महीने तक रखना है।

निर्णय में विलियम शेक्सपियर के ओथेलो का हवाला देते हुए अदालत ने माना कि गोखले लक्ष्मी पुरी और उनके पति हरदीप पुरी के खिलाफ़ भटकाव भरे आरोप लगा रहे थे।

मुकदमे में तर्क दिया गया कि गोखले के ट्वीट झूठे और मानहानिकारक थे। पुरी का कहना था कि ट्वीट दुर्भावनापूर्ण तरीके से प्रेरित और तदनुसार डिज़ाइन किए गए थे, झूठ से भरे हुए और तथ्यों को जानबूझकर तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।

जुलाई, 2021 में समन्वय पीठ ने मुकदमे में अंतरिम निषेधाज्ञा आवेदन पर फैसला करते हुए पुरी के पक्ष में फैसला सुनाया।

अदालत ने तब गोखले को 24 घंटे के भीतर संबंधित ट्वीट हटाने का निर्देश दिया। उन्हें पुरी के खिलाफ़ कोई और मानहानिकारक सामग्री पोस्ट करने से भी रोक दिया गया।

टाइटल: लक्ष्मी मुर्देश्वर पुरी बनाम साकेत गोखले

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