दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से कहा- पुराने लेबर लॉ सिस्टम से नए इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड में आसानी से बदलाव हो

Update: 2025-12-12 07:31 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह यह पक्का करे कि पुराने लेबर लॉ सिस्टम से नए इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड, 2020 में आसानी से बदलाव हो।

चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच NA सेबेस्टियन नामक व्यक्ति की PIL पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र सरकार के 21 नवंबर को जारी किए गए नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई, जिससे इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड, 2020 लागू हुआ था।

याचिका में दावा किया गया कि नोटिफिकेशन लागू करने के लिए ज़रूरी नियम बनाए बिना या कोई ट्रिब्यूनल बनाए बिना जारी किया गया।

केंद्र सरकार की ओर से पेश ASG चेतन शर्मा ने कोर्ट को बताया कि मौजूदा लेबर कोर्ट और इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल नए ट्रिब्यूनल बनने तक सभी पेंडिंग और नए मामलों को देखते रहेंगे।

इस सबमिशन को रिकॉर्ड करते हुए बेंच ने आदेश दिया:

“हम ASG चेतन शर्मा की कोशिशों की तारीफ़ करते हैं और आगे भरोसा जताते हैं कि सरकार की तरफ़ से पुराने लेबर लॉ सिस्टम से नए सिस्टम में आसानी से बदलाव लाने के लिए ज़रूरी हर काम किया जाएगा।”

मामले की सुनवाई अब 12 जनवरी, 2026 को होगी।

याचिका में कहा गया कि कोड सभी पेंडिंग केस को ऐसे ट्रिब्यूनल में ट्रांसफर करने का प्रोविज़न करता है, जो हैं ही नहीं और दिल्ली में इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल और लेबर कोर्ट का पूरा काम रुक गया।

इसमें यह भी कहा गया कि जब तक ज़रूरी नियम, सिस्टम और ट्रिब्यूनल नहीं बनाए जाते, तब तक काम करने वालों के हितों की रक्षा करना ज़रूरी है।

याचिका में यह भी कहा गया कि इस नोटिफिकेशन का इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट के तहत पूरी एडजुडिकेटरी मशीनरी पर “पैरालाइज़िंग इफ़ेक्ट” है, क्योंकि यह सभी पेंडिंग केस को कोड के तहत ट्रिब्यूनल में ट्रांसफर करने का प्रोविज़न करता है।

Title: NA Sebastian & Anr v. Union of India

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