5 साल से जेल में बंद खालिद सैफी ने दिल्ली दंगों के मामले में जमानत के लिए दिल्ली हाईकोर्ट से गुहार लगाई

Update: 2025-03-05 04:36 GMT
5 साल से जेल में बंद खालिद सैफी ने दिल्ली दंगों के मामले में जमानत के लिए दिल्ली हाईकोर्ट से गुहार लगाई

दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश के मामले में आरोपी यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के संस्थापक खालिद सैफी ने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट से इस बात पर विचार करने को कहा कि क्या उनके खिलाफ "बेदाग संदेशों" के लिए लगाए गए UAPA के आरोप उन्हें जमानत देने से इनकार करने या एफआईआर में उन पर मुकदमा चलाने का कारण बन सकते हैं।

अपना मामला आगे बढ़ाते हुए दिल्ली पुलिस ने व्हाट्सएप ग्रुप पर सैफी और प्रदर्शनकारियों के बीच आदान-प्रदान किए गए कुछ कथित रूप से भड़काऊ संदेशों पर भरोसा किया।

इसका हवाला देते हुए सीनियर एडवोकेट रेबेका जॉन ने कहा,

"क्या बेदाग संदेशों के आधार पर UAPA या उनके (अभियोजन पक्ष) ऐसे संदेशों से कहानियां बनाने का प्रयास, मुझे जमानत देने से इनकार करने का कारण बन सकता है या क्या यह UAPA के तहत मुझ पर मुकदमा चलाने का आधार भी हो सकता है?"

जॉन जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर की खंडपीठ के समक्ष सैफी की जमानत याचिका में खंडन प्रस्तुत कर रहे थे।

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि खुरेजी विरोध स्थल, जिसके प्रभारी सैफी थे, फरवरी 2020 में सांप्रदायिक हिंसा का केंद्र नहीं था।

जॉन ने आगे कहा कि सैफी को तीन सह-आरोपियों के साथ समानता के आधार पर जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए, जिन्हें जून 2021 में जमानत पर रिहा किया गया।

जॉन आसिफ इकबाल तन्हा, देवांगना कलिता और नताशा नरवाल के मामले का जिक्र कर रहे थे, जिन्हें दिल्ली हाईकोर्ट की समन्वय पीठ ने जमानत दी थी और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने राहत की पुष्टि की थी।

जॉन ने कहा,

"उन्होंने (दिल्ली पुलिस) अपनी चुनौती खो दी और फिर उनके लिए यह कहना कि हाईकोर्ट का फैसला कानून की नजर में कोई फैसला नहीं है, अनुचित है। अगर वह कोई फैसला नहीं होता तो जमानत का आदेश रद्द कर दिया जाता।"

इसके बाद उन्होंने दलील दी कि समानता का मामला बनाना खालिद का काम है और अदालत को इस पर विचार करना चाहिए, लेकिन अभियोजन पक्ष आरोपी को बाहर नहीं कर सकता। यह नहीं कह सकता कि वह समानता का दावा करने का हकदार नहीं है। उन्होंने कहा कि समानता के आधार पर दिन-प्रतिदिन जमानत दी जाती है।

उन्होंने कहा,

"मैं 21 मार्च, 2020 से हिरासत में हूं। मुझे एक भी दिन जमानत नहीं मिली है। लगभग 5 साल हो गए हैं।"

इस महीने के अंत में मामले की सुनवाई जारी रहेगी।

खंडपीठ उमर खालिद, शरजील इमाम, मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, शादाब अहमद, अतहर खान, खालिद सैफी और गुलफिशा फातिमा द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ द्वारा भारतीय दंड संहिता, 1860 और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत विभिन्न अपराधों के तहत एफआईआर 59/2020 दर्ज की गई थी।

इस मामले में ताहिर हुसैन, उमर खालिद, खालिद सैफी, इशरत जहां, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा, शिफा-उर-रहमान, आसिफ इकबाल तन्हा, शादाब अहमद, तसलीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान, अतहर खान, सफूरा जरगर, शरजील इमाम, फैजान खान और नताशा नरवाल आरोपी हैं।

केस टाइटल: उमर खालिद बनाम राज्य और अन्य संबंधित मामले

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