इंडिगो संकट पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से की कड़ी पूछताछ, एयरलाइन को फंसे यात्रियों को मुआवज़ा देने का निर्देश

Update: 2025-12-10 09:47 GMT
दिल्ली हाई कोर्ट में इंडिगो संकट और बड़े पैमाने पर फ्लाइट कैंसिलेशन के मुद्दे पर दायर एक जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई के दौरान बुधवार को कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना तो की, लेकिन यह भी कहा कि लाखों यात्रियों का एयरपोर्ट पर फंसा रह जाना देश की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करता है, जो अदालत के लिए गंभीर चिंता का विषय है।

कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि फंसे हुए यात्रियों को मुआवज़ा देने के प्रावधानों का “इंडिगो द्वारा सख्ती से पालन किया जाए” और यह सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी नागरिक उड्डयन मंत्रालय और DGCA की भी होगी।
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से उपस्थित एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चे़तन शर्मा ने चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेदेला की खंडपीठ को बताया कि एक कमेटी बनाई गई है जो हालात की समीक्षा कर रही है। उन्होंने बताया कि DGCA समय-समय पर इंडिगो को CAR (Civil Aviation Requirements) के प्रावधानों को समय पर लागू करने के लिए कहता रहा है।
इस पर चीफ जस्टिस ने पूछा, “अगर एयरलाइन इन प्रावधानों का पालन नहीं करती, तो आपके पास क्या कार्रवाई का विकल्प है? क्या आप बेबस हैं? आप उनके खिलाफ क्या कदम उठा सकते हैं?”
PIL बिना रिसर्च दायर नहीं की जा सकती
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता से हालात और सरकारी प्रयासों के बारे में पूछा। लेकिन जब वकील ने कहा कि वह पूरी जानकारी में नहीं हैं, तो अदालत ने कड़ी टिप्पणी की:
“आप पूरी तरह अवगत नहीं हैं, फिर भी PIL दायर कर दी। यह कोई मज़ाक नहीं है… सरकार कार्रवाई कर रही है। वकील होकर ऐसी याचिका दाखिल करना उचित नहीं। PIL कोई आम आदमी की तरह दायर करने की जगह नहीं है। कोर्ट में आप कानून के आधार पर अधिकार और विफलताएँ स्थापित करते हैं।”
चीफ जस्टिस ने आगे पूछा कि क्या याचिकाकर्ता यह बता सकता है कि सरकार के पास इंडिगो जैसे सेवा प्रदाताओं को नियंत्रित करने के कौन से वैधानिक अधिकार हैं।
सुरक्षा से समझौता किए बिना स्थिति सामान्य करने के निर्देश
कोर्ट ने कहा कि सरकार और इंडिगो दोनों यह सुनिश्चित करें कि स्थिति जल्द से जल्द सामान्य हो, लेकिन यात्रियों की सुरक्षा से समझौता किए बिना।
साथ ही यह भी कहा कि एयरलाइंस पर्याप्त संख्या में पायलट नियुक्त करें ताकि FTL/FTTL नियमों का पालन हो सके।
कोर्ट ने यह उम्मीद भी जताई कि फंसे हुए यात्रियों को जल्द मुआवज़ा दिया जाएगा।
फ्लाइट संकट के कारणों पर टिप्पणी करने से कोर्ट ने परहेज़ किया क्योंकि इस पर विचार कर रही कमेटी पहले से गठित है और एयरलाइन को अपना पक्ष रखने का अवसर मिलेगा।
कोर्ट की स्पष्ट टिप्पणी
“हमारी टिप्पणियाँ केवल सार्वजनिक हित के मुद्दों पर केंद्रित हैं। सरकार और DGCA स्वतंत्र जांच के आधार पर निर्णय लें। यदि अगली तारीख तक जांच पूरी हो जाए, तो रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश की जाए।”
कोर्ट ने सभी पक्षों को जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए अगली सुनवाई 22 जनवरी 2026 तय की।
अंत में कोर्ट ने इंडिगो से कहा, “यह केवल कैंसिलेशन का मामला नहीं है, बल्कि यात्रियों को हुई अन्य परेशानियों और नुकसानों का भी है। हम आपको मुआवज़ा देने के निर्देश देंगे।”
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