अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई करने में MCD की लाचारी बिल्डर के साथ मिलीभगत को दर्शाती है: दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2024-08-16 07:17 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने अवैध निर्माणों के खिलाफ विध्वंस आदेश जारी करने के बावजूद अनधिकृत निर्माणों के खिलाफ कोई प्रभावी कार्रवाई करने में विफल रहने के लिए दिल्ली नगर निगम (MCD) का आचरण अस्वीकार किया।

टिप्पणी की,

"यह न्यायालय ऐसी स्थिति की अनुमति नहीं दे सकता, जहां बड़े पैमाने पर अनधिकृत निर्माण बिना किसी दंड के जारी रहे और नगर निगम प्राधिकरण अपेक्षित कार्रवाई करने में विफल या असमर्थ हो। इस तरह वस्तुतः असहाय दर्शक बनकर रह जाए।"

जस्टिस सचिन दत्ता नई दिल्ली के राजोकरी में भूमि पर अनधिकृत निर्माण के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के लिए MCD और अन्य प्रतिवादी-प्राधिकरणों को निर्देश देने के लिए याचिकाकर्ता की याचिका पर विचार कर रहे थे।

MCD ने 09.10.2023 को भूमि पर अवैध निर्माण के खिलाफ ध्वस्तीकरण आदेश जारी किया। याचिकाकर्ता का कहना है कि ध्वस्तीकरण आदेश के बावजूद MCD ने निर्माण को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।

संबंधित भूमि के अधिभोगी ने MCD के ध्वस्तीकरण आदेश के खिलाफ MCD के अपीलीय न्यायाधिकरण (ATMCD) के समक्ष अपील दायर की।

18.01.2024 के आदेश के माध्यम से ATMCD ने MCD को भूमि के अधिभोगी को सुनने और एक महीने के भीतर नया आदेश पारित करने का निर्देश दिया।

हालांकि MCD ने ATMCD द्वारा निर्धारित समय सीमा का पालन नहीं किया। 26.03.2024 को ही नया ध्वस्तीकरण आदेश जारी किया। इसके बाद अधिभोगी ने एटीएमसीडी के समक्ष एक और अपील दायर की जो अभी भी लंबित है।

हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि भूमि के अधिभोगी के आचरण, अनधिकृत निर्माण को जारी रखने के लिए प्रतिवादी-अधिकारियों द्वारा गंभीर कार्रवाई की जानी चाहिए थी। हालांकि वे ध्वस्तीकरण आदेश के बावजूद कोई कार्रवाई करने में विफल रहे।

न्यायालय ने कहा कि MCD के हलफनामे से पता चला है कि संपत्ति के कब्जेदार ने MCD को भूमि का निरीक्षण करने की अनुमति नहीं दी। इसके अलावा, MCD ने भूमि का बाहर से निरीक्षण करके ही अनधिकृत निर्माण को देखा।

न्यायालय ने MCD की इस बात के लिए आलोचना की कि वह संबंधित भूमि के प्रासंगिक पते/खसरा नंबर की पहचान नहीं कर पाई।

न्यायालय ने MCD द्वारा कोई प्रभावी कार्रवाई करने में विफलता पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि संपत्ति का निरीक्षण करने के उद्देश्य से उस तक पहुंच पाने में MCD की लाचारी को स्वीकार करना मुश्किल है। वह भी ATMCD द्वारा मामले को MCD को वापस भेजे जाने के बाद।"

इसने टिप्पणी की कि यदि MCD जैसा कोई प्राधिकरण अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करने में अपनी ओर से लाचारी का दावा करता है तो इससे याचिकाकर्ता के आरोपों को बल मिलता है कि MCD के अधिकारी संपत्ति के कब्जेदार के साथ मिलीभगत कर रहे हैं।

“जब MCD जैसा कोई प्राधिकरण कार्रवाई करने में असहाय या असमर्थ/अनिच्छुक होने का दावा करता है तो इससे याचिकाकर्ता के उन आरोपों/आशंकाओं को बल मिलता है कि संबंधित संपत्ति के मालिक/कब्जाधारी/बिल्डर के साथ एमसीडी अधिकारियों की मिलीभगत है। वर्तमान मामले में बड़े पैमाने पर अनधिकृत निर्माण के खिलाफ अपेक्षित कार्रवाई करने के लिए MCD की ओर से स्पष्ट रूप से क्षमता/इच्छा की कमी के संबंध में कोई औचित्य नहीं है।”

मामले की परिस्थितियों पर विचार करते हुए न्यायालय ने MCD को उक्त भूमि पर अनधिकृत निर्माण की सीमा का निरीक्षण करने और पड़ोसी क्षेत्रों में किसी भी अवैध निर्माण का निरीक्षण करने का निर्देश दिया।

इसने MCD और पुलिस अधिकारियों को अनधिकृत निर्माण को तुरंत रोकने का आदेश दिया। इसने कहा कि प्रतिवादी अधिकारियों की कार्रवाई उक्त भूमि के खसरा नंबरों के बारे में किसी भी भ्रम के कारण बाधित नहीं होनी चाहिए।

न्यायालय ने ATMCD को लंबित अपीलों पर शीघ्र निर्णय लेने का भी निर्देश दिया।

केस टाइटल- स्मृति भाटिया सी.एस. दिल्ली नगर निगम एवं अन्य

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