इंटर्न्स, युवा वकीलों के लिए स्टाइपेंड दिशानिर्देशों को समय पर लागू करने की मांग वाली याचिका पर शीघ्र निर्णय लें: दिल्ली हाईकोर्ट ने BCI, BCD से कहा

Update: 2024-02-08 09:13 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) और बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (BCD) को चैंबर या लॉ फर्म से जुड़े इंटर्न्स और युवा वकीलों के लिए स्टाइपेंड (Stipend) या पारिश्रमिक दिशानिर्देशों के समय पर और प्रभावी कार्यान्वयन की मांग करने वाली याचिका पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश दिया।

एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने BCI और BCD को वकील सिमरन कुमारी द्वारा 27 जनवरी को दिए गए अभ्यावेदन पर कानून के अनुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया।

कुमारी ने स्टाइपेंड दिशानिर्देशों को लागू करने की मांग करते हुए जनहित याचिका दायर की और BCI और BCD को उनके प्रतिनिधित्व पर कार्रवाई करने का निर्देश देने की भी प्रार्थना की।

अदालत ने कहा कि याचिका समय से पहले दायर की गई, क्योंकि अभ्यावेदन हाल ही में 27 जनवरी को पेश किया गया। साथ ही यह भी कहा कि इस पर निर्णय लेने के लिए अधिकारियों को कुछ समय दिया जाना चाहिए।

खंडपीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा,

“उत्तरदाताओं को 27 जनवरी के अभ्यावेदन पर यथासंभव शीघ्र और कानून के अनुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया जाता है।”

यह याचिका वकील तुषार तंवर और नील कुमार शर्मा के माध्यम से दायर की गई।

याचिका में कहा गया कि 5 साल और 3 साल के एलएलबी कोर्स जैसे व्यावसायिक कोर्स को करने के बाद कमाई न करने की क्षमता की भावना के कारण यह युवा वकीलों के मन में संदेह पैदा करता है और "गैर-उपलब्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।"

इसलिए कुमारी ने BCI और NCD को ऐसा तरीका तैयार करने का निर्देश देने की मांग की, जिससे इंटर्न्स और युवा वकीलों के लिए उचित पारिश्रमिक सुनिश्चित किया जा सके।

याचिका में कहा गया,

“उचित पारिश्रमिक का अभाव न केवल युवा लॉ ग्रेजुएट के जीवन में बाधाएं पैदा करता है, बल्कि दूसरे सुरक्षित पेशे में स्थानांतरित होने के निर्णय में भी योगदान देता है।”

केस टाइटल: सिमरन कुमारी बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया एवं अन्य।

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