AO द्वारा शेयरधारकों की पहचान और साख की जांच के बाद बिना अतिरिक्त जानकारी के पुनर्मूल्यांकन का अधिकार नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में आयकर विभाग (रेवेन्यू) की अपील खारिज की, जिसमें एक कंपनी की आय में जोड़े गए 25.32 करोड़ को चुनौती दी गई थी।
कोर्ट ने कहा कि जब एक बार असेसिंग ऑफिसर (AO) द्वारा शेयरधारकों की पहचान और उनकी वित्तीय साख की जांच कर ली जाती है तो आय में चोरी के संदेह में पुनर्मूल्यांकन केवल अतिरिक्त जानकारी मिलने पर ही किया जा सकता है।
जस्टिस विभु बाखरू और जस्टिस तेजस कारिया की खंडपीठ ने अपने निर्णय में कहा,
"मूल आकलन के दौरान AO द्वारा एक प्रश्नावली जारी की गई, जिसका उत्तर देते हुए असेसी (कंपनी) ने शेयर आवेदन पत्र, पहचान प्रमाण, पैन कार्ड, इनकम टैक्स रिटर्न की कॉपी और शेयर आवेदकों के बैंक स्टेटमेंट जमा कराए थे। इस प्रकार, आवेदकों की पहचान और साख की गहन जांच की जा चुकी थी। इसलिए पुनर्मूल्यांकन के लिए AO को पहले से जांचे गए तथ्यों से अलग कोई नई जानकारी होना आवश्यक था।"
यह मामला K.R. Pulp And Papers Ltd. नामक पब्लिक लिमिटेड कंपनी से जुड़ा है, जो पैकेजिंग में प्रयुक्त ब्राउन पेपर के निर्माण से जुड़ा है।
रेवेन्यू विभाग ने कंपनी की आय में 25.32 करोड़ की बढ़ोतरी की थी, जो कथित रूप से अज्ञात स्रोत से प्राप्त शेयर पूंजी और प्रीमियम पर आधारित थी। इसे आयकर अधिनियम की धारा 68 के तहत जोड़ा गया था। लेकिन आयकर अपीलीय आयुक्त (CIT-Appeals) ने इस बढ़ोतरी को खारिज कर दिया।
रेवेन्यू विभाग का दावा था कि मूल आकलन धारा 143(3) के तहत तो हुआ था लेकिन वह परीक्षण के आधार पर किया गया था। बाद में जांच शाखा ने यह संदेह जताया कि कंपनी को कुछ फर्जी कंपनियों से ऊंचे प्रीमियम पर शेयर पूंजी प्राप्त हुई थी।
अपीलीय प्राधिकारी ने पाया कि निवेश करने वाली अधिकांश कंपनियां RBI के साथ रजिस्टर्ड NBFCs (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां) थीं। वे कंपनी के गठन से पहले से अस्तित्व में थीं। इसलिए उन्हें शेल कंपनियों के रूप में नहीं देखा जा सकता।
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह मानते हुए कि AO के पास धारा 148 के तहत नोटिस जारी करने के समय कोई ठोस सामग्री नहीं थी कहा,
"सिर्फ जांच ब्रांच से प्राप्त सामान्य जानकारी के आधार पर AO को यह मानने का कारण नहीं मिल सकता कि असेसी की आय कर से बचाई गई। ITR और अन्य दस्तावेज पहले ही प्रस्तुत किए जा चुके थे और आय को छुपाने का कोई विशेष संकेत नहीं था।"
अदालत ने यह भी जोड़ा कि धारा 148 के तहत नोटिस केवल संदेह (Suspicion) के आधार पर नहीं दिया जा सकता। ऐसे में रेवेन्यू की मांग वाली अपील खारिज कर दी गई।
Case Title: Pr. Commissioner Of Income Tax (Central)-2 v. M/S K.R. Pulp And Papers Ltd.