दिल्ली हाईकोर्ट ने OpenAI के ChatGPT के खिलाफ ANI के कॉपीराइट उल्लंघन के मुकदमे में समन जारी किया
समाचार एजेंसी एशियन न्यूज इंटरनेशनल (ANI) ने OpenAI इंक के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में कॉपीराइट उल्लंघन का मुकदमा दायर किया, जिसने ChatGPT की स्थापना की। इसमें आरोप लगाया गया कि इसकी मूल समाचार सामग्री का अनधिकृत उपयोग किया गया।
जस्टिस अमित बंसल ने मुकदमे के साथ-साथ मामले में अंतरिम निषेधाज्ञा मांगने वाली ANI की अर्जी पर भी समन जारी किया।
न्यायालय ने उठाए गए मुद्दों की विस्तृत श्रृंखला पर विचार करते हुए मामले में एक एमिकस क्यूरी भी नियुक्त किया, जिसका नाम आदेश में दर्शाया जाएगा।
न्यायालय ने आदेश दिया,
"वर्तमान मुकदमे में मुद्दों की श्रृंखला के साथ-साथ विभिन्न कॉपीराइट स्वामियों के कॉपीराइट के संबंध में नवीनतम तकनीकी प्रगति के कारण उत्पन्न होने वाले मुद्दों पर विचार करते हुए यह न्यायालय इस विचार पर है कि इस मामले में न्यायालय की सहायता के लिए एक एमिकस क्यूरी नियुक्त किया जाना चाहिए।"
OpenAI अमेरिकी कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) अनुसंधान संगठन है, जिसका मुख्यालय कैलिफोर्निया में है। मस्क ने 2015 में OpenAI की सह-स्थापना की और 2018 में कंपनी छोड़ दी। Open AI ने ChatGPT की स्थापना की है, जो जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) चैटबॉट है। ChatGPT के खिलाफ भारत में यह पहला मुकदमा है।
ANI ने आरोप लगाया कि OpenAI द्वारा इसकी मूल समाचार सामग्री का व्यावसायिक लाभ के लिए शोषण किया जा रहा है।
ANI की ओर से पेश हुए एडवोकेट सिद्धांत कुमार ने तर्क दिया कि ChatGPT समाचार एजेंसी की सामग्री का उपयोग Open AI के बड़े-भाषा मॉडल (LLM) को प्रशिक्षित करने के लिए करता है, जो चैटबॉट को उपयोगकर्ता के प्रश्नों के उत्तर देने में सक्षम बनाता है।
उन्होंने कहा कि ChatGPT के LLM को प्रशिक्षित करने, समाचार एजेंसी की सामग्री को संग्रहीत करने और उसकी प्रतियां बनाने के लिए ANI की कॉपीराइट सामग्री का उपयोग कॉपीराइट उल्लंघन के बराबर है।
उन्होंने आगे कहा,
"केवल कॉपीराइट की गई सामग्री सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होने से उन्हें इसे कॉपी करने का अधिकार नहीं मिल जाता। एक बार कोई प्रश्न पूछे जाने पर आप मेरी कॉपीराइट की गई सामग्री का उपयोग करके उन प्रश्नों के लिए शब्दशः या काफी हद तक समान उत्तर प्रदान करते हैं, उनकी सेवा भी मुझे गलत तरीके से पेश करती है।"
दूसरी ओर, OpenAI की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अमित सिब्बल ने मुकदमा दायर करने के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र पर प्रारंभिक आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि चूंकि OpenAI का भारत में कोई सर्वर नहीं है। इसलिए भारत में ChatGPT के खिलाफ कार्रवाई का कोई कारण नहीं बनता।
सिब्बल ने कहा,
“जब से मैंने 2 साल पहले परिचालन शुरू किया है तब से मेरे खिलाफ अमेरिका में 13, कनाडा में 2 और जर्मनी में 1 मुकदमा दायर किया गया है। किसी भी तरह का कोई निषेधाज्ञा नहीं है। इसके लिए एक अच्छा कारण है, क्योंकि किसी भी अदालत ने प्रथम दृष्टया कॉपीराइट का कोई उल्लंघन नहीं पाया। मैं हमेशा पारदर्शी रहा हूं। तथ्यों पर कोई एकाधिकार नहीं हो सकता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि जो कोई भी नहीं चाहता कि उसकी वेबसाइट तक पहुंचा जाए। उसके पास ChatGPT पर खुद को ब्लॉकलिस्ट में डालने का विकल्प है।
निर्देशों पर उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2024 तक OpenAI ने पहले ही एएनआई के डोमेन को ब्लॉक कर दिया।
सिब्बल ने तर्क दिया,
“भारत में मेरे खिलाफ कोई मुकदमा नहीं है। मैं भारत में किसी कार्यालय के साथ मौजूद नहीं हूं। मेरे सर्वर विदेश में स्थित हैं। मैं भारत में वादी की किसी भी सामग्री का पुनरुत्पादन नहीं करता। मुकदमे में ऐसा कोई उदाहरण नहीं है, जहां यह दिखाया गया हो कि उनकी सामग्री का कोई पुनरुत्पादन किया गया है। भारत में, वादी के पास मेरे खिलाफ कार्रवाई का कोई कारण नहीं है, क्योंकि सर्वर यहां नहीं हैं।”
सिब्बल के निर्देशों को रिकॉर्ड पर लेते हुए न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2025 में तय की। न्यायालय ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि चूंकि मामला जटिल है। इस पर विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है, इसलिए वह आज कोई अंतरिम आदेश पारित करने के लिए इच्छुक नहीं है।
पीठ ने कहा,
"मैं इस स्तर पर कोई अंतरिम निषेधाज्ञा आदेश देने के लिए इच्छुक नहीं हूं। इसके लिए विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है। यह एक जटिल मुद्दा है।"
ANI के मुकदमे में आरोप लगाया गया कि ChatGPT वास्तविक समय के आधार पर उपयोगकर्ताओं के प्रश्नों के उत्तर में एएनआई की मूल सामग्री को शब्दशः पुनरुत्पादित करता है।
ANI का मामला यह है कि ChatGPT उसे ऐसे बयानों और समाचारों का श्रेय दे रहा है, जो कभी घटित ही नहीं हुए। यह कहा गया कि ऐसे उदाहरण जिन्हें मतिभ्रम के रूप में जाना जाता है, समाचार एजेंसी की प्रतिष्ठा और फर्जी खबरों के प्रसार के लिए वास्तविक खतरा पैदा करते हैं, जिससे सार्वजनिक अव्यवस्था हो सकती है।
केस टाइटल: ANI मीडिया प्राइवेट लिमिटेड बनाम OpenAI इंक और अन्य।