दिल्ली हाईकोर्ट ने 'हौज खास सोशल' को ईटरी के लाइसेंस नवीनीकरण पर निर्णय होने तक शराब सेवा की अनुमति देने का निर्देश दिया

दिल्ली हाईकोर्ट ने शहर के प्रसिद्ध रेस्तरां आउटलेट हौज खास सोशल को आबकारी विभाग के उस निर्देश के विरुद्ध राहत प्रदान की, जिसमें उसने “ईटिंग हाउस लाइसेंस” न होने का हवाला देते हुए शराब की बिक्री पर रोक लगाने का निर्देश दिया।
जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि रेस्तरां-सह-बार को वर्ष 1994 से लाइसेंस प्रदान किया गया, केवल इसलिए कि प्राधिकरण की ओर से इसे नवीनीकृत करने में देरी हुई, रेस्तरां के हितों के विरुद्ध नहीं होगा।
पीठ ने कहा,
"प्रतिवादी नंबर 2 के विद्वान वकील ने विशिष्ट प्रश्न पर कहा कि याचिकाकर्ता के ईटिंग हाउस रजिस्ट्रेशन/लाइसेंस का नवीनीकरण केवल क्षेत्र उपयुक्तता रिपोर्ट के अभाव में रुका हुआ है। इसे प्रस्तुत करना याचिकाकर्ता के हाथ में नहीं है। यदि इसके कारण कोई देरी होती है तो इसकी जिम्मेदारी और परिणाम याचिकाकर्ता पर नहीं डाले जा सकते।"
बता दें कि रेस्तरां के पास "स्वतंत्र रेस्तरां में भारतीय शराब और विदेशी शराब परोसने" के लिए एल-17 और एल-17एफ लाइसेंस है। दिल्ली अग्निशमन सेवा द्वारा किए गए निरीक्षण में भी यह पाया गया कि रेस्तरां परिसर सभी लागू अग्नि रोकथाम और सुरक्षा मानदंडों के अनुरूप है।
याचिकाकर्ता एपिफेनी हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड, जो रेस्तरां का संचालन करती है, अपने ईटिंग हाउस लाइसेंस के लंबित नवीनीकरण के कारण अपने संचालन में "अचानक व्यवधान" से व्यथित थी।
विभाग ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता का रेस्तरां सरकारी स्कूल और गांव के मंदिरों के 100 मीटर के भीतर अवैध रूप से शराब परोस रहा है। यह दावा किया गया कि इस तरह की कार्रवाइयां दिल्ली ईटिंग हाउस विनियम, 2023 के प्रावधानों का उल्लंघन करती हैं।
इसके अलावा यह भी कहा गया कि दिल्ली पुलिस की संबंधित इकाई/अधिकारियों से 'क्षेत्र उपयुक्तता रिपोर्ट' के अभाव में नवीनीकरण के लिए याचिकाकर्ता के आवेदन पर कार्रवाई रोक दी गई।
शुरू में, हाईकोर्ट ने दिल्ली ईटिंग हाउस, रजिस्ट्रेशन विनियम, 2023 के पैरा 6(ii) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि जब ईटिंग हाउस रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट के नवीनीकरण के लिए आवेदन विधिवत प्रस्तुत किया जाता है तो ऐसी स्थिति में "जिस परिसर के संबंध में रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट का नवीनीकरण किया जाना है, उसे तब तक विधिवत रजिस्टर्ड माना जाएगा, जब तक कि ऐसे रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट का नवीनीकरण नहीं हो जाता और आवेदक को ऑनलाइन वितरित नहीं कर दिया जाता, या जब तक कि रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट के नवीनीकरण से इनकार करने की सूचना ऐसे व्यक्ति को नहीं दे दी जाती"।
यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता के मामले में नवीनीकरण के लिए आवेदन को अस्वीकार नहीं किया गया, न्यायालय ने कहा,
"जब तक याचिकाकर्ता के नवीनीकरण आवेदन को अस्वीकार नहीं किया जाता है, तब तक याचिकाकर्ता के संचालन को ईटिंग हाउस रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट/लाइसेंस की कमी के कारण रोका नहीं जा सकता है।"
इस प्रकार इसने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता के परिसर को तब तक विधिवत रजिस्टर्ड माना जाएगा, जब तक कि उसका रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट विधिवत नवीनीकृत और वितरित नहीं हो जाता है या नवीनीकरण से इनकार करने की सूचना नहीं भेजी जाती है।
इस बीच न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को दो सप्ताह के भीतर नवीनीकरण के लिए याचिकाकर्ता के आवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया।
केस टाइटल: एपिफेनी हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड बनाम आयुक्त आबकारी मनोरंजन और विलासिता कर विभाग दिल्ली सरकार और अन्य।