प्रियदर्शिनी मट्टू मामला : दिल्ली हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा काट रहे दोषी में पाया पुनर्वास का तत्व, समयपूर्व रिहाई की याचिका पर नए सिरे से विचार का आदेश

Update: 2025-07-01 06:44 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली जेलों की सजा समीक्षा बोर्ड (SRB) के उस निर्णय को रद्द कर दिया, जिसमें 1996 में राष्ट्रीय राजधानी में कानून की स्टूडेंट प्रियदर्शिनी मट्टू के साथ बलात्कार और हत्या मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे दोषी संतोष कुमार सिंह की समयपूर्व रिहाई की याचिका खारिज कर दी गई थी।

जस्टिस संजीव नरूला ने यह आदेश सुनाया, जिसका निर्णय 14 मई को सुरक्षित रखा गया था।

कोर्ट ने कहा,

“कोर्ट ने पाया कि दोषी (सिंह) में सुधार के तत्व मौजूद हैं। मैंने SRB का निर्णय रद्द कर दिया है और मामले को नए सिरे से विचार के लिए SRB को भेज दिया है।”

दोषी ने 2023 में याचिका दायर कर SRB की सिफारिश को चुनौती दी थी।

जस्टिस नरूला ने कहा कि इस निर्णय में दिल्ली जेलों की SRB के लिए कुछ दिशानिर्देश भी निर्धारित किए गए।

कोर्ट ने कहा कि वर्तमान SRB व्यवस्था में किसी सक्षम मेडिकल विशेषज्ञ द्वारा दोषी का औपचारिक मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन करने का प्रावधान नहीं है। ऐसी स्थिति में SRB के लिए यह आकलन करना कठिन हो जाता है कि क्या दोषी में फिर से अपराध करने की प्रवृत्ति समाप्त हो चुकी है।

कोर्ट ने कहा कि नई व्यवस्था विकसित की जानी चाहिए और दोषियों का मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन किया जाना चाहिए, जिससे SRB कोई निर्णय ले सके।

मट्टू जिनकी उम्र घटना के समय 25 वर्ष थी। जनवरी, 1996 में उनके फ्लैट पर बलात्कार कर हत्या कर दी गई। दोषी सिंह उस समय दिल्ली यूनिवर्सिटी का कानून का स्टूडेंट था। ट्रायल कोर्ट ने 3 दिसंबर 1999 को साक्ष्यों के अभाव में उसे बरी कर दिया था।

दिल्ली हाईकोर्ट ने 27 अक्टूबर, 2006 को ट्रायल कोर्ट का निर्णय पलटते हुए उसे मट्टू के बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराया और मौत की सजा सुनाई। इस सजा को सिंह ने चुनौती दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में उसकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा लेकिन मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया।

केस टाइटल: संतोष कुमार सिंह बनाम राज्य (एनसीटी ऑफ दिल्ली)

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