दिल्ली हाईकोर्ट ने घड़ी डिटर्जेंट के विज्ञापनों से Surf Excel के लिए 'अपमानजनक' वाक्यांशों को हटाने का आदेश दिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश में घड़ी डिटर्जेंट पाउडर द्वारा जारी विज्ञापनों से सर्फ एक्सेल डिटर्जेंट के लिए "अपमानजनक" वाक्यांशों को हटाने का आदेश दिया।
जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि हालांकि तुलनात्मक विज्ञापन अपने आप में स्वस्थ हो सकते हैं, लेकिन अपमानजनक और मानहानिकारक टिप्पणियां स्वीकार्य नहीं होंगी।
न्यायालय ने कहा,
"इसलिए अंतरिम व्यवस्था के रूप में यह न्यायालय प्रथम दृष्टया प्रतिवादी को निम्नलिखित वाक्यांशों को हटाने का निर्देश देने के लिए इच्छुक है, जो स्पष्ट रूप से अपमानजनक हैं और वादी के 'सर्फ एक्सेल' उत्पाद के बारे में नकारात्मक संकेत देते हैं।"
अंतरिम आदेश हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड द्वारा आरएसपीएल लिमिटेड के खिलाफ दायर मुकदमे में पारित किया गया, जो सर्फ एक्सेल उत्पादों का निर्माण करता है। इसमें आरोप लगाया गया कि घड़ी डिटर्जेंट उत्पाद के विज्ञापनों में आरएसपीएल लिमिटेड के उत्पाद यानी सर्फ एक्सेल डिटर्जेंट का अपमान किया गया।
सर्फ एक्सेल का मामला यह था कि आरोपित विज्ञापन घड़ी डिटर्जेंट द्वारा कई टेलीविजन और डिजिटल विज्ञापनों के माध्यम से शुरू किए गए चार विज्ञापन थे, जिनमें कथित तौर पर एचयूएल के प्रमुख उत्पाद 'सर्फ एक्सेल' को निशाना बनाया गया, उसका उपहास किया गया और उसके बारे में निराधार अपमानजनक दावे किए गए।
यह प्रस्तुत किया गया कि विज्ञापन 'सर्फ एक्सेल' को लक्षित कर रहे थे और विभिन्न अनुचित और अपमानजनक अभिव्यक्तियों और शब्दावली का उपयोग करके उक्त उत्पाद को बदनाम और अपमानित भी कर रहे थे।
दूसरी ओर, घड़ी डिटर्जेंट ने प्रस्तुत किया कि एचयूएल के पास 'एक्सेल' शब्द पर एकाधिकार नहीं है, क्योंकि 'एक्सेल' ट्रेडमार्क के लिए एचयूएल के ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन पर एक अस्वीकरण था। यह भी कहा गया कि एचयूएल की अपनी पैकेजिंग स्पष्ट नहीं थी, क्योंकि इसमें सिर्फ़ नीला रंग ही नहीं था बल्कि इसमें कई अन्य विशिष्ट तत्व भी थे।
फ़ेना, एरियल, हेन्को, घड़ी और व्हील जैसे अन्य उत्पादों का भी संदर्भ दिया गया जो नीले रंग की पैकेजिंग का उपयोग करते हैं।
पक्षकारों की सुनवाई के बाद न्यायालय का "प्रथम दृष्टया मत" था कि जिस तरह से विज्ञापन स्वयं प्रवाहित होते हैं, आरएसपीएल द्वारा प्रतिस्पर्धी के उत्पाद का जो संदर्भ दिया जा रहा था उसे 'सर्फ एक्सेल' माना जा सकता है।
इसके बाद न्यायालय ने घड़ी डिटर्जेंट को अपने विज्ञापनों से निम्नलिखित वाक्यांशों को हटाने का निर्देश दिया- आपके करें बड़ी-बड़ी बातें पर धो नहीं पाते, इसके झगडे अच्छे हैं, दाम अच्छे हैं और ना ना, यह धोखा है।
न्यायालय ने कहा,
"प्रतिवादी को 24 जून, 2025 तक विवादित विज्ञापनों में उचित संशोधन करना होगा और उसके बाद ही विवादित विज्ञापनों का प्रसारण करना होगा।"
न्यायालय ने मुकदमे में आगे समन जारी किया और आरएसपीएल को दो सप्ताह के भीतर एचयूएल के अंतरिम निषेधाज्ञा आवेदन पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
अब इस मामले की सुनवाई रोस्टर बेंच द्वारा 16 जुलाई को की जाएगी।
Case Title: HINDUSTAN UNILEVER LIMITED v/s RSPL LIMITED