दिल्ली हाईकोर्ट ने मानहानि मामले में TMC के साकेत गोखले के खिलाफ लक्ष्मी पुरी की याचिका पर नोटिस जारी किया

Update: 2024-12-23 07:49 GMT

संयुक्त राष्ट्र में भारत की पूर्व सहायक महासचिव लक्ष्मी पुरी ने सोमवार (23 दिसंबर) को दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद साकेत गोखले उस आदेश का पालन करने में विफल रहे हैं, जिसमें उन्हें सोशल मीडिया पर माफी मांगने और उनके खिलाफ मानहानि के मुकदमे में 50 लाख रुपये का हर्जाना देने को कहा गया था।

जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने पुरी की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें 01 जुलाई को पारित फैसले के क्रियान्वयन की मांग की गई।

न्यायालय ने गोखले को चार सप्ताह के भीतर अपनी सभी संपत्तियों, संपदाओं और बैंक खातों का खुलासा करते हुए हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया।

न्यायालय ने आदेश दिया,

"निर्णय ऋणी (गोखले) द्वारा चार सप्ताह के भीतर अपनी सभी संपत्तियों, धन, चल और अचल संपत्तियों, जिसमें उनके नाम पर बैंक खाते और जमा राशि शामिल है, का पूर्ण खुलासा करते हुए हलफनामा दायर किया जाए।"

पुरी की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने कहा कि गोखले जुलाई के अंत तक माफीनामा प्रकाशित करने के निर्देश देने वाले फैसले का पालन करने में विफल रहे, जिसे छह महीने तक उनके हैंडल पर रखा जाना था। उन्होंने कहा कि गोखले को फैसले के बारे में पूरी जानकारी थी, जो 02 जुलाई को उनके द्वारा किए गए ट्वीट से स्पष्ट है, जिसमें उन्होंने कहा कि वे फैसले के खिलाफ अपील दायर करेंगे। सिंह ने कहा कि आज तक गोखले द्वारा कोई अपील दायर नहीं की गई है और उनके द्वारा संबंधित फैसले का कोई अनुपालन नहीं किया गया।

न्यायालय ने निष्पादन याचिका में नोटिस जारी किया और मामले को फरवरी, 2025 में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। पुरी द्वारा मानहानि का मुकदमा गोखले के ट्वीट से व्यथित होकर दायर किया गया, जिसमें उनके द्वारा स्विट्जरलैंड में खरीदी गई संपत्ति का जिक्र था। ट्वीट में गोखले ने अपनी और अपने पति केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी की संपत्ति को लेकर सवाल उठाए थे। उन्होंने ट्वीट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भी टैग किया था और ईडी जांच की मांग की थी।

फैसले में समन्वय पीठ ने पुरी के पक्ष में मुकदमा तय करते हुए गोखले से टाइम्स ऑफ इंडिया में माफ़ी मांगने को कहा। उन्हें अपने ट्विटर हैंडल पर माफ़ी मांगने का भी निर्देश दिया गया, जिसे 6 महीने तक रहना है।

फैसले में विलियम शेक्सपियर के ओथेलो का हवाला देते हुए अदालत ने कहा था कि गोखले लक्ष्मी पुरी और उनके पति हरदीप पुरी के खिलाफ़ घूमने वाले आरोप लगा रहे थे।

मुकदमे में तर्क दिया गया कि गोखले के ट्वीट झूठे और मानहानिकारक थे। पुरी का कहना है कि ट्वीट दुर्भावनापूर्ण तरीके से प्रेरित और तदनुसार डिज़ाइन किए गए, झूठ से भरे हुए और जानबूझकर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।

जुलाई, 2021 में समन्वय पीठ ने मुकदमे में अंतरिम निषेधाज्ञा आवेदन पर फैसला करते हुए पुरी के पक्ष में फैसला सुनाया।

इसके बाद कोर्ट ने गोखले को 24 घंटे के भीतर संबंधित ट्वीट हटाने का निर्देश दिया। साथ ही उन्हें पुरी के खिलाफ कोई और अपमानजनक सामग्री पोस्ट करने से भी रोक दिया गया।

केस टाइटल: लक्ष्मी मुर्देश्वर पुरी बनाम साकेत गोखले

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