हत्या की जांच में पुलिस रिकॉर्ड से गायब हुई केस डायरियां, दिल्ली हाईकोर्ट ने जताई चिंता
हत्या के आरोपी की ज़मानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट यह देखकर हैरान रह गया कि पुलिस रिकॉर्ड से कुछ केस डायरियां गायब थीं।
जस्टिस गिरीश कठपालिया ने वर्तमान मामले की केस डायरी नंबर 39 का अवलोकन करते हुए पाया कि केस डायरियां डायरी नंबर 19 (27.02.2025) तक रखी गई थीं। उसके बाद अगली केस डायरी नंबर 39 (28.02.2025) थी। उसके बाद केस डायरियों की नंबर 42 और फिर 44 हो गई।
गायब केस डायरियों के बारे में पूछे जाने पर जांच अधिकारी ने कहा कि वे केस डायरियां नष्ट हो गई होंगी या हटा दी गई होंगी।
अदालत ने टिप्पणी की,
"यह न केवल इन केस डायरियों की पवित्रता को पूरी तरह से समाप्त करता है बल्कि जांच की वास्तविकता पर भी संदेह पैदा करता है।”
अदालत केस डायरियों का अवलोकन कर रही थी, क्योंकि अभियुक्त/आवेदक के गिरफ्तारी ज्ञापन में गिरफ्तारी के कारणों का कॉलम रिक्त था।
जांच अधिकारी ने प्रस्तुत किया कि अभियुक्त को गिरफ्तारी के आधार अलग से लिखित रूप में दिए गए। इसे केस डायरी में दर्ज किया गया, जिस पर मजिस्ट्रेट द्वारा आद्याक्षर किए जाने की बात कही गई थी।
इसी पृष्ठभूमि में हाईकोर्ट को केस डायरियों के रखरखाव में विसंगति का पता चला। इसने आगे कहा कि केवल इसी केस डायरी पर मजिस्ट्रेट के कथित आद्याक्षर (बिना नाम/मुहर के) अंकित थे और किसी अन्य तिथि की केस डायरी पर ऐसे आद्याक्षर नहीं थे।
अदालत ने टिप्पणी की,
"यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक हत्या के मामले में भी इतनी घटिया जांच की गई।"
अंततः उसने याचिकाकर्ता-आरोपी को 10,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि का ज़मानतदार प्रस्तुत करने पर ज़मानत पर रिहा करने का आदेश दिया।
केस टाइटल: बंती कुमार माथुर बनाम दिल्ली राज्य