आयुष मंत्रालय को दिल्ली हाइकोर्ट ने आयुर्वेद, योग को आयुष्मान भारत PMJAY योजना में शामिल करने की याचिका पर जल्द से जल्द निर्णय लेने को कहा
दिल्ली हाइकोर्ट ने आयुष मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा को केंद्र सरकार की सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) में शामिल करने की मांग करने वाली जनहित याचिका को प्रतिनिधित्व के रूप में मान ले।
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह प्रतिनिधित्व पर यथासंभव शीघ्रता से तर्कसंगत आदेश के माध्यम से निर्णय ले।
अदालत ने भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका का निपटारा कर दिया। अभियोजन न होने के कारण याचिका खारिज कर दी गई। हालांकि मामले को बहाल करने की मांग करने वाली अर्जी दायर होने के बाद अदालत ने इसे बहाल कर दिया।
न्यायालय ने आयुष मंत्रालय द्वारा दायर जवाबी हलफनामे का अवलोकन किया, जिसमें कहा गया कि वह केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ समन्वय में भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन PM-JAY में शामिल करने के लिए कदम उठा रहा है।
न्यायालय ने कहा,
"उक्त तथ्य के साथ-साथ इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि याचिका प्रतिवादियों को कोई प्रतिनिधित्व दिए बिना दायर की गई है यह न्यायालय प्रतिवादी नंबर 2 (आयुष मंत्रालय) को निर्देश देते हुए वर्तमान याचिका का निपटारा करता है कि वह रिट याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में ले और इसे यथासंभव शीघ्रता से तर्कसंगत आदेश के माध्यम से तय करे।"
न्यायालय ने कहा कि यदि उपाध्याय आयुष मंत्रालय के निर्णय से व्यथित हैं तो उन्हें कानून के अनुसार उचित कार्यवाही दायर करने की स्वतंत्रता होगी। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि न्यायालय ने विवाद के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं की है।
उपाध्याय का कहना है कि केंद्र सरकार की योजना एलोपैथिक अस्पतालों और औषधालयों तक सीमित है, जबकि भारत में आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी सहित कई स्वदेशी चिकित्सा प्रणालियां हैं, जो भारत की समृद्ध परंपराओं में निहित हैं और वर्तमान समय की स्वास्थ्य सेवा आवश्यकताओं को पूरा करने में अत्यधिक प्रभावी हैं।"
यह कहते हुए कि भारत ऋषियों की विभिन्न महान परंपराओं से समृद्ध देश है, जिसका उल्लेख विभिन्न उपलब्ध शास्त्रों, वेदों, पुराणों, उपनिषदों आदि में भी किया गया, याचिका में कहा गया,
"दुर्भाग्य से विदेशी शासकों और औपनिवेशिक मानसिकता वाले व्यक्तियों द्वारा बनाई गई विभिन्न नीतियों के कारण हमारी सांस्कृतिक बौद्धिक ज्ञान और वैज्ञानिक विरासत को व्यवस्थित रूप से नष्ट कर दिया गया। इसके साथ ही इन विदेशियों ने लाभ-उन्मुख दृष्टिकोण से प्रेरित होकर हमारे देश की स्वतंत्रता के समय कई कानूनों और योजनाओं को सोच-समझकर लागू किया, जिन्होंने धीरे-धीरे हमारी समृद्ध विरासत और इतिहास को कमजोर किया।"
उपाध्याय ने प्रस्तुत किया कि देश की शक्तिशाली सभ्यता समृद्ध ज्ञान और सांस्कृतिक विरासत को फिर से स्थापित करना राज्य का कर्तव्य है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली आयुष्मान योजना के अंतर्गत नहीं आती है।
याचिका में कहा गया,
“गौतरलब है कि संविधान की मूल भावना के अनुसार भारतीय नागरिकों को स्वास्थ्य का अधिकार है और उन्हें अपना पसंदीदा उपचार और डॉक्टर चुनने का भी अधिकार है। इसलिए इस दिशा में कदम उठाना सरकार की जिम्मेदारी है। स्वास्थ्य सेवाओं की व्यापक पहुंच होनी चाहिए, जिससे सभी को विभिन्न प्रकार की सेवाओं तक पहुंच मिल सके और यह सुनिश्चित हो कि इन सेवाओं की गुणवत्ता लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए पर्याप्त हो सके।”
केस टाइटल- अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत संघ और अन्य