दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल से जेल में मिलने की AAP सांसद की याचिका खारिज की

Update: 2024-09-05 07:16 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने AAP के राज्यसभा सदस्य संदीप कुमार पाठक को जेल में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलने की अनुमति नहीं देने का आदेश बरकरार रखा।

जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि पाठक मुलाकात के लिए आवेदन करने के लिए स्वतंत्र हैं, जिस पर कानून के अनुसार संबंधित जेल अधीक्षक द्वारा विचार किया जाएगा।

अदालत ने पाठक की उस याचिका का निपटारा किया। उक्त याचिका में उन्होंने जेल अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की थी कि वे उन्हें तिहाड़ जेल में केजरीवाल से मिलने दें। मुख्यमंत्री कथित शराब नीति घोटाले के सिलसिले में न्यायिक हिरासत में हैं।

पाठक को अप्रैल में केजरीवाल से मिलने की अनुमति दी गई। जेल अधिकारियों ने तर्क दिया कि मुलाकात के दौरान पाठक ने मीडिया में कुछ ऐसे बयान दिए जो जेल नियमों का उल्लंघन थे।

तदनुसार, जेल अधिकारियों के अनुसार पाठक को केजरीवाल से मिलने की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने दावा किया कि यदि पाठक के खिलाफ कोई पक्षपात होता तो उन्हें पिछले दो अवसरों पर मिलने की अनुमति नहीं दी जाती।

जस्टिस कृष्णा ने कहा कि बयानों से पता चलता है कि वे केजरीवाल की ओर से दिए गए राजनीतिक बयान थे, जो दिल्ली के मुख्यमंत्री होने के बावजूद जेल परिसर तक ही सीमित हैं और खुद जनता को संबोधित करने या ऐसे बयान देने में असमर्थ हैं।

अदालत ने कहा,

"कोई यह नहीं भूल सकता कि जेल में रहने के दौरान जेल में अनुशासन बनाए रखने के लिए उसके कुछ अधिकार निलंबित/कम कर दिए जाते हैं। यह जरूरी हो जाता है कि जेल के कैदी आगंतुकों से अपनी शारीरिक मुलाकातों के दौरान ऐसा माहौल न बनाएं, जिससे जेल प्रशासन को परेशानी हो या राजनीतिक बयानबाजी हो, जिसका आम जनता पर बड़ा असर हो और जेल के अंदर के माहौल पर भी असर हो।"

इसके अलावा कहा गया कि जब तक कोई व्यक्ति जेल में बंद है, उसे जेल के नियमों का पालन करना होगा, क्योंकि राजनीति या जेल प्रशासन के संबंध में बातचीत करने के उसके अधिकार पर ऐसी शर्तें स्पष्ट रूप से जेल परिसर में उचित माहौल बनाए रखने और कैदियों के आचरण को नियंत्रित करने और विनियमित करने के लिए हैं।

अदालत ने कहा,

"इसमें कोई संदेह नहीं कि याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए बयान राजनीतिक थे, अरविंद केजरीवाल के लिए और उनकी ओर से और DPR 2018 के नियम 587 का स्पष्ट रूप से उल्लंघन करते थे।"

इसके अलावा जस्टिस कृष्णा ने यह भी कहा कि आगंतुक के राजनीतिक बातचीत या जेल प्रशासन के बारे में अधिकार को प्रतिबंधित करने का उद्देश्य उचित अनुशासन बनाए रखना है।

कोर्ट ने कहा,

"याचिकाकर्ता ने अरविंद केजरीवाल के लिए और उनकी ओर से बयान दिए। वह एजेंट या प्रवक्ता की तरह थे। उनके बयानों को भाषण और अभिव्यक्ति के स्वतंत्र अधिकार का प्रयोग करते हुए या DPR द्वारा लगाए गए उचित प्रतिबंधों का उल्लंघन करते हुए नहीं माना जा सकता। वह DPR के संदर्भ में इंटरव्यू का अधिकार मांग रहे हैं। इसलिए उसे इसके अनुसार इसका प्रयोग करना चाहिए। वह एक तरफ नियम 589 DPR के अनुसार इंटरव्यू का अधिकार नहीं मांग सकते और दूसरी तरफ उसमें निहित शर्तों का पालन नहीं कर सकते। नियम द्वारा प्रदत्त विशेषाधिकार पूरी कठोरता से लागू किया जाएगा। याचिकाकर्ता अपनी सुविधा के अनुसार इसके चयनात्मक पालन की मांग नहीं कर सकता।”

केस टाइटल- संदीप कुमार पाठक बनाम अधीक्षक केंद्रीय जेल नंबर 2 और अन्य

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