हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़के के होठों को चूमने के लिए दलाई लामा के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की
दिल्ली हाईकोर्ट ने जनहित याचिका (PIL) खारिज की, जिसमें पिछले साल फरवरी में कथित तौर पर एक लड़के के होठों को चूमकर उसके साथ छेड़छाड़ करने के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई।
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने इस तथ्य का न्यायिक संज्ञान लिया कि दलाई लामा ने उन लोगों से माफी मांगी, जो उनके कृत्य से आहत हुए हैं।
घटना का वीडियो देखने पर पीठ ने कहा कि दलाई लामा शरारत करने की कोशिश कर रहे थे और इसे तिब्बती संस्कृति के संदर्भ में देखा जाना चाहिए।
अदालत ने कहा,
"यह तथ्य भी ध्यान में रखना चाहिए कि वह धार्मिक संप्रदाय का मुखिया है, जिसकी स्थिति आज सबसे अच्छी नहीं है।”
अदालत ने यह भी कहा कि घटना पूरी तरह से सार्वजनिक रूप से हुई और नाबालिग ने ही दलाई लामा से मिलने और उन्हें गले लगाने की इच्छा और इरादा व्यक्त किया। पीठ ने कहा कि इस मामले को जनहित याचिका के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। इस तरह याचिका खारिज की।
अदालत ने बाल कल्याण के लिए काम करने वाले गैर-सरकारी संगठनों और व्यक्तियों के एक समूह द्वारा दायर जनहित याचिका खारिज की। दलाई लामा के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने के अलावा, याचिकाकर्ता नाबालिग बच्चे की पहचान उजागर करने और उसकी पहचान वापस लेने से भी व्यथित थे।
सुनवाई के दौरान पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि घटना पूर्व नियोजित नहीं थी। दलाई लामा ने इसके लिए माफी मांगी है।
पीठ ने कहा,
"सरकार इसकी जांच करेगी। हम इसमें नहीं पड़ना चाहते। इसमें कोई सार्वजनिक हित नहीं है। यह कोई जनहित याचिका नहीं है, जिस पर हमें विचार करना चाहिए।"
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि अगर जनहित याचिका को अनुमति नहीं दी गई और कार्रवाई नहीं की गई तो नाबालिग के होठों पर चुंबन लेना सामान्य बात हो जाएगी। वकील ने आगे कहा कि नाबालिग बच्चों के माता-पिता अक्सर आध्यात्मिक नेताओं और गुरुओं से मंत्रमुग्ध हो जाते हैं और वे बच्चों को इस तरह के कृत्यों में भाग लेने के लिए मजबूर करते हैं।
इस पर पीठ ने टिप्पणी की,
“ऐसे गुरु हैं, जो लोगों को लात मारते हैं। हमने यह भी देखा है। वे लोगों को पीटते हैं। हम क्या कर सकते हैं? हम इस सबमें नहीं जा सकते। यह हमारा अधिकार क्षेत्र नहीं है।”
पीठ ने यह भी कहा,
“अगली बार कोई कहेगा कि उसने खराब तरीके से हाथ मिलाया। अगर आप दुखी हैं, तो कृपया शिकायत दर्ज करे अभी इसे शांत करें। यह जनहित याचिका का मामला नहीं है।”
केस टाइटल- गैर सरकारी संगठनों और अन्य संगठनों का परिसंघ बनाम भारत संघ और अन्य।