परिवार के कमाने वाले की मृत्यु के लंबे समय बाद भी अनुकंपा नियुक्ति नहीं मांगी जा सकती, यह हमेशा के लिए जारी नहीं रहती: दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2025-08-05 07:04 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि परिवार के कमाने वाले की मृत्यु के लंबे समय बाद भी अनुकंपा नियुक्ति नहीं मांगी जा सकती। यह ऐसा अधिकार नहीं है, जो हमेशा के लिए जारी रहे।

जस्टिस सी. हरि शंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति एक बहुत ही विशिष्ट आवश्यकता को पूरा करती है, जो समय के साथ समाप्त हो जाती है।

अदालत ने कहा,

"परिवार के कमाने वाले की मृत्यु के लंबे समय बाद भी अनुकंपा नियुक्ति नहीं मांगी जा सकती। यह ऐसा अधिकार नहीं है, जो शुद्धिकरण तक हमेशा के लिए जारी रहे।"

इसमें आगे कहा गया कि अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि संबंधित परिवार संकट में है और मुख्य कमाने वाले की मृत्यु के बाद उसे तत्काल सहायता की आवश्यकता है।

न्यायालय ने कहा,

"अनुकंपा नियुक्ति के लिए संपर्क किए जाने वाले अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि परिवार के मुख्य कमाने वाले की मृत्यु के कारण परिवार संकट में है और अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ है और उसे तत्काल सहायता की आवश्यकता है।"

खंडपीठ ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में कार्यरत कांस्टेबल के बेटे द्वारा दायर याचिका खारिज की, जिनकी मृत्यु 21 सितंबर 1988 को सेवाकाल के दौरान हुई थी।

सितंबर, 2000 में मृतक की पत्नी ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था लेकिन कांस्टेबल के पद के लिए आवश्यक योग्यता न होने के कारण उन्हें नियुक्ति नहीं दी गई।

2018 में बेटे और उसकी मां ने एक बार फिर अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। यह दावा किया गया कि बेटा 2014 में वयस्क हो गया था लेकिन उसके पास कांस्टेबल के पद के लिए आवश्यक योग्यता नहीं थी, इसलिए उसने 2018 में आवेदन किया इससे पहले नहीं।

जनवरी, 2020 में उन्हें सूचित किया गया कि बेटे की अनुकंपा नियुक्ति के लिए अनुशंसा नहीं की गई।

इसलिए बेटे को कांस्टेबल के पद पर अनुकंपा नियुक्ति देने के लिए अधिकारियों को आदेश देने हेतु याचिका दायर की गई।

याचिका खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा कि परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु के एक दशक से अधिक समय बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन स्वीकार करना अनुकंपा नियुक्ति की अवधारणा के प्रति पूर्ण रूप से अन्याय होगा और इसे भर्ती का एक वैकल्पिक तरीका बना देगा।

न्यायालय ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य सेवाकाल के दौरान मरने वाले सरकारी कर्मचारी के परिवार को तत्काल गरीबी की स्थिति से उबरने में सक्षम बनाना है। न्यायालय ने आगे कहा कि यह सर्वविदित है कि अनुकंपा नियुक्ति भर्ती का कोई वैकल्पिक तरीका नहीं है।

अतः हम याचिकाकर्ता की सहायता करने की स्थिति में नहीं हैं। रिट याचिका पूरी तरह से निराधार है। तदनुसार, खारिज की जाती है।

टाइटल: सचिन यादव बनाम भारत संघ एवं अन्य

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