BNSS ने आपराधिक न्याय में परिवर्तनकारी युग की शुरुआत की, निष्पक्षता के सिद्धांतों के साथ संरेखित पारदर्शी प्रणाली को बढ़ावा दिया: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने देखा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), जिसने ब्रिटिश युग की दंड प्रक्रिया संहिता की जगह ली, आपराधिक न्याय में परिवर्तनकारी युग की शुरुआत करती है।
जस्टिस अमित महाजन ने कहा,
"BNSS तकनीकी एकीकरण पर अपने व्यापक जोर के साथ आपराधिक न्याय में परिवर्तनकारी युग की शुरुआत करता है। ऐसी प्रणाली को बढ़ावा देता है, जो न केवल पारदर्शी और जवाबदेह है बल्कि निष्पक्षता और न्याय के सिद्धांतों के साथ मौलिक रूप से संरेखित है।"
NDPS Act के तहत दर्ज मामले में आरोपी को जमानत देते हुए कोर्ट ने कहा कि पुलिस द्वारा तलाशी और जब्ती की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की प्रथा अब BNSS के तहत अनिवार्य कर दी गई है। आरोपी का कहना था कि भले ही उसे दिन के समय पकड़ा गया और गुप्त सूचना के आधार पर जब्ती की गई लेकिन पुलिस अधिकारियों ने छापेमारी और उससे बरामदगी की वीडियोग्राफी की व्यवस्था करने का कोई प्रयास नहीं किया।
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि तलाशी के दौरान उसके कब्जे से बैग बरामद हुआ जिसमें 550 ग्राम के दो पैक में छिपाकर रखी गई 1.1 किलोग्राम चरस बरामद हुई। कोर्ट ने कहा कि आजकल लगभग सभी व्यक्ति वीडियोग्राफी के लिए मोबाइल फोन रखते हैं। इसलिए केवल वीडियोग्राफी और बरामदगी की फोटोग्राफी न होना अभियोजन पक्ष के मामले को खारिज नहीं करता बल्कि इसकी सत्यता पर संदेह पैदा करने के लिए पर्याप्त हो सकता है। बदलते समय की जरूरत को समझते हुए विधानमंडल ने अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) पारित कर दी है। फ़ोटोग्राफ़ी और वीडियोग्राफ़ी की प्रथा अब अनिवार्य कर दी गई।
भले ही यह तर्क दिया जाता है कि प्रासंगिक समय में, यह अनिवार्य नहीं था लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि न्यायालयों ने बार-बार अभियोजन पक्ष की कहानी को खारिज किया। स्वतंत्र गवाहों और ऑडियोग्राफ़ी और वीडियोग्राफ़ी के रूप में अतिरिक्त साक्ष्य के महत्व पर ज़ोर दिया, जबकि तकनीक की उन्नति के कारण इसे आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
इसमें यह भी कहा गया कि फ़ोटोग्राफ़ी और वीडियोग्राफ़ी को साक्ष्य के बेहतर ज्ञान और मूल्यांकन के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं के रूप में सार्वभौमिक रूप से स्वीकार किया जाता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि अभियोजन पक्ष जांच के दौरान बरामदगी को बेहतर ढंग से दर्ज करने में सक्षम है।
कोर्ट ने कहा,
"BNSS यह निर्धारित करता है कि तलाशी और जब्ती की कार्यवाही किसी भी ऑडियो-वीडियो माध्यम से रिकॉर्ड की जाएगी अधिमानतः मोबाइल फोन के माध्यम से। जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है इन दिनों मोबाइल फोन लगभग सभी के पास खासकर दिल्ली जैसे महानगरीय शहर में आसानी से उपलब्ध हैं।”
जस्टिस महाजन ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि स्वतंत्र गवाहों की अनुपस्थिति और मुकदमे में लंबे समय तक देरी के आधार पर जमानत देने के लिए प्रथम दृष्टया मामला बनता है।
कोर्ट ने आगे कहा,
"आवेदक का पूर्व इतिहास भी साफ-सुथरा बताया गया। इसलिए मैं संतुष्ट हूं कि यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि आवेदक जमानत पर रहते हुए कोई अपराध करने की संभावना नहीं रखता है।”
केस टाइटल- बंटू बनाम दिल्ली सरकार