दिल्ली हाईकोर्ट ने 5 वर्षीय बच्चे की सड़क दुर्घटना में मौत के मामले में FIR रद्द करने से इनकार किया, कहा- समझौता स्वीकार करना ब्लड मनी को वैध करना होगा
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने से इनकार किया, जिसने लापरवाही से गाड़ी चलाते हुए ई-रिक्शा को टक्कर मार दी थी, जिससे 5 वर्षीय बच्चे की मृत्यु हो गई।
जस्टिस गिरीश काथपालिया ने उस समझौते को मान्यता देने से इनकार कर दिया, जिसमें आरोपी द्वारा मृतक बच्चे के कानूनी उत्तराधिकारियों को 1 लाख रुपये देने की सहमति बनी थी।
अदालत ने टिप्पणी की कि इस तरह के समझौते को मंजूरी देकर FIR रद्द करना ब्लड मनी को वैध ठहराने जैसा होगा जिसे भारतीय क़ानून मान्यता नहीं देता।
अदालत ने कहा,
“कोई भी सभ्य समाज ब्लड मनी को स्वीकार नहीं करेगा। घायल और मृत बच्चा वह है, जिसे दर्द और जीवन की हानि हुई। उस मृतक बच्चे की भरपाई किसी भी तरह से नहीं की जा सकती।”
FIR भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 279 (सार्वजनिक मार्ग पर लापरवाही से वाहन चलाना) और धारा 304A (लापरवाही से मृत्यु का कारण बनना) के तहत दर्ज की गई थी।
आरोपी ने याचिका दाखिल कर यह दावा किया कि उसने मृतक नाबालिग के कानूनी उत्तराधिकारियों के साथ समझौता कर लिया है और इसलिए FIR रद्द की जानी चाहिए।
आरोपी ने यह भी तर्क दिया कि ई-रिक्शा चालक नशे में था। उसी की गलती से दुर्घटना हुई और ई-रिक्शा में चार की सीमा के बावजूद छह यात्री सवार थे।
हालांकि कोर्ट ने FIR रद्द करने से इनकार करते हुए कहा कि मृतक बच्चे के परिजनों को उसकी जिंदगी के बदले पैसे लेने का कोई नैतिक या कानूनी अधिकार नहीं है।
अदालत ने कहा,
“अतः मैं इस तथाकथित समझौते के आधार पर FIR रद्द करने को उपयुक्त नहीं मानता। याचिका खारिज की जाती है।”
टाइटल: विपिन गुप्ता बनाम राज्य (एनसीटी दिल्ली) व अन्य