गिरफ्तारी ज्ञापन फॉर्म में 'गिरफ्तारी का आधार' कॉलम जोड़ें: हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को गिरफ्तारी ज्ञापन फॉर्म में अभियुक्त की 'गिरफ्तारी का आधार' दर्ज करने के लिए एक कॉलम जोड़ने को कहा।
जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने कहा कि CrPC की धारा 50 और BNSS, 2023 की धारा 47 के प्रभावी अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए संशोधित गिरफ्तारी ज्ञापन फॉर्म या कुछ अनुलग्नक जोड़े जाने चाहिए।
प्रावधानों में कहा गया कि गिरफ्तार किए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को विशेष अपराध और गिरफ्तारी के कारणों के बारे में तुरंत सूचित किया जाना चाहिए।
जस्टिस शर्मा ने दिल्ली पुलिस आयुक्त से यह सुनिश्चित करने को कहा कि गिरफ्तारी ज्ञापन फॉर्म में संशोधन के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाए।
न्यायालय ने कहा,
“इस अदालत की राय है कि इस्तेमाल किए जा रहे गिरफ्तारी ज्ञापन फॉर्म को अपडेट करने की तत्काल आवश्यकता है। इस मामले में और प्रबीर पुरकायस्थ (सुप्रा) के मामले में प्रस्तुत गिरफ्तारी ज्ञापन प्रपत्रों से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि अभियुक्त से संबंधित गिरफ्तारी के आधारों को दर्ज करने के लिए कोई कॉलम नहीं है।"
वैवाहिक विवाद में दिल्ली पुलिस द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाले अभियुक्त द्वारा दायर याचिका पर विचार करते हुए ये टिप्पणियां की गईं। पिछले साल आईपीसी की धारा 498ए, 406, 328, 376, 109 और 34 के तहत FIR दर्ज की गई।
पत्नी ने आरोप लगाया कि दंपति ने गुप्त विवाह किया था, लेकिन समय के साथ उनके बीच मतभेद पैदा हो गए। उसने पति और उसके माता-पिता के खिलाफ मानसिक, शारीरिक और यौन शोषण के आरोप लगाए।
अभियुक्त का मामला यह है कि उसकी गिरफ्तारी कानून के सिद्धांतों के उल्लंघन में की गई, क्योंकि गिरफ्तारी के आधारों के बारे में उसे सूचित नहीं किया गया। उन्होंने प्रस्तुत किया कि जांच एजेंसी कानून की अनिवार्य आवश्यकताओं का पालन करने में विफल रही। उसकी गिरफ्तारी के समय तैयार किए गए गिरफ्तारी ज्ञापन में गिरफ्तारी के किसी भी आधार का खुलासा नहीं किया गया।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि हालांकि गिरफ्तारी ज्ञापन में आरोपी के लिए गिरफ्तारी के आधार स्पष्ट रूप से नहीं बताए गए, लेकिन उक्त आधारों को विधिवत रूप से उसे बता दिया गया।
गिरफ्तारी को अवैध घोषित करते हुए और आरोपी को जमानत देते हुए अदालत ने कहा कि CrPC की धारा 50 के अनुपालन में “गिरफ्तारी के आधार” को आरोपी को “तुरंत” प्रदान किया जाना चाहिए।
अदालत ने कहा,
“यह स्पष्ट किया जाता है कि याचिकाकर्ता को धारा 50 CrPC के तकनीकी गैर-अनुपालन पर रिहा करने के लिए वर्तमान आदेश पारित किया गया। इस अदालत ने मामले के गुण-दोष पर विचार नहीं किया।
केस टाइटल: प्रणव कुकरेजा (पुलिस हिरासत में) बनाम राज्य (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली)