हाईकोर्ट ने केंद्रीय जेलों के लिए विजिटर्स बोर्ड गठित करने के आदेश का पालन न करने पर दिल्ली के गृह मंत्री से हलफनामा मांगा
जेलों में भीड़भाड़ के मामले में स्वत: संज्ञान मामले के संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश के गृह मंत्री कैलाश गहलोत को व्यक्तिगत हलफनामा दायर कर यह बताने का निर्देश दिया कि केंद्रीय जेलों के लिए विजिटर्स बोर्ड गठित करने के संबंध में पिछले न्यायालय के आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया।
इसने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (GNCTD) के गृह सचिव को अगली सुनवाई पर न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने का भी निर्देश दिया।
दिल्ली सरकार के गृह मंत्री एक व्यक्तिगत हलफनामा दायर कर बताएंगे कि न्यायालय के आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया। यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि वर्तमान मामले को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देश के अनुसरण में लिया गया। इससे पहले कि यह न्यायालय GNCTD की भूमिका पर आगे टिप्पणी करे हम गृह मंत्रालय द्वारा दायर हलफनामे का अवलोकन करना चाहेंगे। उक्त हलफनामा एक सप्ताह के भीतर दायर किया जाए। गृह सचिव, GNCTD अगली सुनवाई की तारीख पर व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में उपस्थित होंगे।
हाईकोर्ट ने 28 मई 2024 को उल्लेख किया कि 16 केंद्रीय जेलों के लिए विजिटर्स बोर्ड का गठन बहुत लंबे समय से नहीं किया गया और गृह सचिव GNCTD को जेलों के लिए विजिटर्स बोर्ड का गठन करने का निर्देश दिया।
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने इस बात पर अपनी नाराजगी व्यक्त की कि विजिटर्स बोर्ड की नियुक्ति आज तक नहीं की गई। कहा कि विजिटर्स बोर्ड के नामों की अनुशंसा वाली फाइल 23 जुलाई से 09 सितंबर 2024 तक जीएनसीटीडी के पास पड़ी रही।
यह 15 सितंबर 2017 को 1382 जेलों में अमानवीय परिस्थितियों में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर हाईकोर्ट द्वारा उठाया गया स्वतः संज्ञान मामला था, जहां सुप्रीम कोर्ट ने देश में जेल सुधारों के लिए दिशानिर्देश जारी किए।
अदालत ने मामले को 2 सप्ताह बाद आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट किया।
केस टाइटल- कोर्ट ऑन इट्स ओन मोशन बनाम गृह मंत्रालय और अन्य