जिला उपभोक्ता आयोग, रेवाड़ी (हरियाणा) ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को सेवा में कमी के लिए जिम्मेदार ठहराया
जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, रेवाड़ी (हरियाणा) के अध्यक्ष श्री संजय कुमार खंडूजा और श्री राजेंद्र प्रसाद (सदस्य) की खंडपीठ ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को मृतक के परिवार के सदस्यों द्वारा एक वैध बीमा दावे को गलत तरीके से अस्वीकार करने के लिए उत्तरदायी ठहराया। जिला आयोग ने बीमा कंपनी के तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि पॉलिसी के नियम व शर्तों का पालन करने की जिम्मेदारी बीमा कंपनी पर आती है।
पूरा मामला:
स्वर्गीय दिनेश कुमार के पास प्राथमिक कृषि सहकारी समिति (PACS) के साथ किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) खाता था। दुर्घटना मृत्यु दावा बीमा प्रीमियम को पीएसीएस (PACS) बैंक से यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड में स्थानांतरित कर दिया गया था ताकि मृतक की संभावित आकस्मिक मृत्यु को कवर किया जा सके। दुखद रूप से, मृतक को सड़क के किनारे दुर्घटना में गंभीर चोटें आईं और पार्क अस्पताल, गुरुग्राम में इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। मृतक के शव का पोस्टमार्टम किया गया और दुर्घटना के लिए जिम्मेदार अज्ञात वाहन के चालक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। इस बीच, परिवार के सदस्यों ने पीएसीएस और बीमा कंपनी के साथ कई बातचीत किए, लेकिन दावों के निपटान के लिए कोई संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं मिली। परेशान होकर , शिकायतकर्ताओं ने जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, रेवाड़ी, हरियाणा में उपभोक्ता शिकायत दर्ज कराई।
शिकायत के जवाब में, बीमा कंपनी ने कहा कि दुर्घटना की सूचना मिलने पर जांच शुरू की गई थी। तथ्यों को सत्यापित करने के लिए एक ऑटो इन्वेस्टिगेटर नियुक्त किया गया था, और 26 फरवरी, 2021 की रिपोर्ट ने दावे को खारिज करने की सिफारिश की थी। इस सिफारिश का आधार मृतक के रिश्तेदारों का कथित असहयोग था, जिन्होंने दुर्घटना स्थल का खुलासा करने और सत्यापन के लिए चिकित्सा उपचार दस्तावेज प्रदान करने से इनकार कर दिया। इसे बीमा पॉलिसी की शर्त संख्या 2 का उल्लंघन माना गया। इसके अतिरिक्त, बीमा कंपनी ने कहा कि दुर्घटना की रिपोर्ट करने में देरी हुई थी। पैक्स (PACS) की तरफ कोई जिला आयोग के समक्ष उपस्थित नहीं हुए। इसलिए, एकपक्षीय के खिलाफ कार्रवाई की गई।
आयोग की टिप्पणियां:
जिला आयोग ने कहा कि शिकायतकर्ताओं में से एक के मृतक के खाते में नामांकित व्यक्ति (nominee) होने के बावजूद ऐसा कारण और पॉलिसी के नियम व शर्तों का पालन करना बीमा कंपनी की ज़िम्मेदारी बनती है। देर से रिपोर्टिंग और शिकायतकर्ताओं की ओर से कथित असहयोग के बारे में बीमा कंपनी के तर्क को जिला आयोग ने निराधार बताते हुए खारिज कर दिया। एवं जिला आयोग ने सेवाओं में कमी के लिए बीमा कंपनी को उत्तरदायी ठहराया।
जिला आयोग ने बीमा कंपनी को उन शिकायतकर्ताओं को आकस्मिक मृत्यु के दावे के रूप में 50,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया जो मृतक के प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारी थे। पिता और नामांकित व्यक्ति के रूप में एक अन्य शिकायतकर्ता को भी प्रथम श्रेणी के कानूनी उत्तराधिकारियों को दावा राशि वितरित करने का निर्देश दिया गया। आयोग ने मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न के लिए 30,000 रुपये का अतिरिक्त मुआवजा और मुकदमा खर्च के रूप में 11,000 रुपये का आदेश दिया, जिसे शिकायतकर्ताओं के बीच समान रूप से साझा किया जाएगा।