'पत्नी की हत्या केवल इसलिए की गई क्योंकि उसने उनके अवैध संबंधों का कड़ा विरोध किया': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पति और उसकी प्रेमिका की दोषसिद्धि बरकरार रखी

Update: 2023-05-30 14:15 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक व्यक्ति और उसकी प्रेमिका को ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई आजीवन कारावास की सजा और सजा को बरकरार रखा, जिसने 2011 में अपनी पत्नी को केवल इसलिए मार डाला क्योंकि वह उनके अवैध संबंधों की प्रबल विरोधी थी।

जस्टिस कौशल जयेंद्र ठाकर और जस्टिस शिव शंकर प्रसाद की पीठ ने कहा कि ऐसे व्यक्ति किसी भी तरह की उदारता के हकदार नहीं हैं क्योंकि वे समाज में एक काला धब्बा हैं।

न्यायालय ने फैसले के अपने ऑपरेटिव हिस्से में निष्कर्ष निकाला,

" अभियोजन पक्ष के गवाह-3 का यह कथन कि अभियुक्त-अपीलार्थी, अर्थात् जयकिशन उर्फ ​​बबलू और अनीता के अवैध संबंध थे, जिसका मृतक विरोध करती थी और जिसके कारण अभियुक्त-अपीलकर्ता जयकिशन मृतक को मारता और प्रताड़ित करता था और अंततः घटना की रात में दोनों आरोपी-अपीलार्थियों ने उस पर मिट्टी का तेल डालकर और आग लगाकर उसकी हत्या कर दी। अभियोजन पक्ष के गवाह-3 के इस बयान का समर्थन अभियोजन पक्ष के गवाह- 1 और अभियोजन पक्ष के गवाह- 2 की गवाही ने भी किया। अभियोजन पक्ष के गवाह-1 और गवाह-2 को एफआईआर के समय से ही और ट्रायल कोर्ट के सामने अपने बयान दर्ज करने तक लगातार अपने बयान पर कायम रहे।”

इसके साथ अदालत ने आरोपी-अपीलकर्ताओं (जय किशन @ बबलू और अनीता) द्वारा दायर की गई अपीलों को खारिज कर दिया, जिसमें अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, गाजियाबाद द्वारा वर्ष 2013 में उन्हें आईपीसी की धारा 302/धारा120बी के तहत दोषी ठहराए जाने के फैसले को चुनौती दी गई थी ।

संक्षेप में मामला

एफआईआर जुलाई 2011 में शिकायतकर्ता (निरंजन शर्मा) के कहने पर दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसने अपनी बेटी रेखा (मृतक) की शादी जय किशन (आरोपी नंबर 1) के साथ लगभग 14 साल पहले की थी। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि आरोपी-अपीलकर्ता ने आरोपी संख्या 2 (अनीता) के साथ अवैध संबंध स्थापित करना शुरू कर दिया। चूंकि मृतका (आरोपी नंबर 1 की पत्नी ) बार-बार अपने पति के अनीता के साथ अवैध संबंध रखने पर आपत्ति जताती थी, इसलिए दोनों ने उसकी हत्या कर दी।

ट्रायल कोर्ट ने अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए दस्तावेजी और मौखिक साक्ष्य पर भरोसा करते हुए और तथ्यों के स्पष्ट निष्कर्षों को रिकॉर्ड करने के बाद निष्कर्ष निकाला कि अभियुक्त-अपीलार्थी के खिलाफ आरोप पूरी तरह से साबित करने में सक्षम रहे कि उन्होंने मृतक की हत्या की थी।

ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और दोषसिद्धि के आदेश से व्यथित होकर, अभियुक्त-अपीलकर्ता ने तत्काल जेल अपील को प्राथमिकता दी।

हाईकोर्ट की टिप्पणियां

ट्रायल के दौरान मौखिक और दस्तावेजी सबूतों की गहन जांच के साथ-साथ ट्रायल कोर्ट के फैसले पर कोर्ट ने कहा कि वह ट्रायल कोर्ट द्वारा दर्ज किए गए श्रेणीबद्ध निष्कर्षों और निर्णय से पूरी तरह से सहमत है।

न्यायालय ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने सही दर्ज किया था कि पीडब्लू-6 डॉ जितेंद्र कुमार ऑटोप्सी सर्जन के अनुसार , मृतका 70% तक जली हुई थी और मृतका पर मिट्टी का तेल डालने और आग लगाने के कारण उसे जलाया गया था और कि ऐसा कोई विश्वसनीय साक्ष्य या सबूत रिकॉर्ड पर उपलब्ध नहीं था जिससे यह पता चलता हो कि मृतक ने आत्महत्या की थी।

अदालत ने आगे कहा कि पीडब्लू-3 मृतक और अभियुक्त के बेटे तनु ने अपनी गवाही में विशेष रूप से अपने पिता और अनीता पर मिट्टी का तेल डालकर अपनी मां की हत्या करने और उसे आग लगाने का आरोप लगाया और उक्त गवाही का समर्थन अभियोजन पक्ष के गवाह-1 एवं अभियोजन पक्ष के गवाह-2 ने अपनी गवाही में किया।

कोर्ट ने कहा कि

" ...यह ध्यान देने योग्य है कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि घटना के स्टार अभियोजन गवाह/एकल चश्मदीद गवाह यानी पीडब्लू-3 के बयानों में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन जब दोनों बयानों को एक साथ ध्यान से पढ़ा जाए तो यह निश्चित रूप से सामने आएगा कि अभियुक्त-अपीलार्थी जयकिशन उर्फ ​​बबलू और अनीता के अवैध संबंध थे, जिसका मृतका विरोध करती थी और जिसके कारण अभियुक्त-अपीलकर्ता जयकिशन उसे मारता-पीटता और प्रताड़ित करता था और अंतत: घटना वाली रात में दोनों आरोपी-अपीलकर्ताओं ने उस पर मिट्टी का तेल डालकर और आग लगाकर उसकी हत्या कर दी।”

इस संबंध में कोर्ट ने कहा कि इस देश में कोई भी बच्चा, जो अपने माता और पिता से सबसे ज्यादा प्यार करता है, अपने नाना या मामा के कहने पर अपने माता या पिता के खिलाफ तब तक आरोप लगाने के लिए तैयार नहीं होगा जब तक उसे यह महसूस न हो कि उसके पिता द्वारा उसकी मां के साथ या उसकी मां द्वारा उसके पिता के साथ गलत किया गया है।

अपनी टिप्पणियों में अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी-अपीलकर्ताओं का मृतक को मारने का एक मजबूत मकसद था और मृतक के शरीर की ऑटोप्सी रिपोर्ट के साथ-साथ ऑटोप्सी सर्जन के बयानों ने अभियोजन पक्ष के बयान का समर्थन किया।

इसे देखते हुए, अभियुक्तों-अपीलकर्ताओं की दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए न्यायालय ने अभियुक्तों की जेल अपीलों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वे किसी भी प्रकार की नरमी के पात्र नहीं हैं।

अपीयरेंस

अपीलकर्ताओं के वकील: डीएस पांडे, गजेंद्र कुमार गौतम, केके श्रीवास्तव, मोहम्मद अरशद खान, सौरभ गौर, आरवी पांडे, संजय कुमार यादव, विकास चंद्र तिवारी

प्रतिवादी के वकील: सरकारी वकील एनके शर्मा, सुनील कुमार दुबे

केस टाइटल - जय किशन @ बबलू बनाम यूपी राज्य एक संबंधित आपराधिक अपील 168/2023

साइटेशन : 2023 लाइवलॉ (एबी) 168

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