पत्नी सूचना के अधिकार के तहत पति की आय के बारे में जानकारी मांग सकती है : सीआईसी

Update: 2020-11-20 11:06 GMT

एक महत्वपूर्ण आदेश में केंद्रीय सूचना आयोग ( सीआईसी) ने आंशिक रूप से एक पत्नी की अपील को स्वीकार कर लिया है। उसने सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत अपने पति की आय के बारे में जानकारी मांगी थी।

सूचना आयुक्त नीरज कुमार गुप्ता ने इस मामले में हाईकोर्ट के कुछ आदेशों पर भरोसा किया है,जिनमें माना गया था कि एक पत्नी यह जानने की हकदार है कि उसके पति को क्या पारिश्रमिक मिल रहा है? वहीं आयकर अधिकारी को निर्देश दिया है कि अपीलकर्ता को उसके पति की नेट इनकम के 'सामान्य विवरण' उसे प्रदान करें।

आयोग ने सुनीता जैन बनाम पवन कुमार जैन व अन्य के मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर भी भरोसा किया, जहां इसे इस तरह से परिभाषित किया गया थाः

'' अधिनियम की धारा 8 (1) (जे) पर विचार समय, हम इस तथ्य से नहीं चूक सकते हैं कि अपीलकर्ता और प्रतिवादी नंबर 1 पति और पत्नी हैं और एक पत्नी के रूप में वह यह जानने की हकदार है कि प्रतिवादी नंबर 1 को क्या पारिश्रमिक मिल रहा है?''

ऐसा मानते समय हाईकोर्ट ने उक्त मामले को गिरीश रामचंद्र देशपांडे बनाम सीआईसी व अन्य के मामले से अलग किया था, जिसके तहत सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि किसी व्यक्ति द्वारा अपने आयकर रिटर्न में बताए गए विवरण ''व्यक्तिगत जानकारी'' हैं, जिनको आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) के खंड (जे) के तहत छूट प्राप्त है,बशर्ते जब तक कि एक बड़ा सार्वजनिक हित शामिल न हो।

राजेश रामचंद्र किडिल बनाम महाराष्ट्र एसआईसी व अन्य के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के द्वारा दिए गए एक फैसले का भी हवाला दिया गया, जहां एक पूर्ण रूप से अजनबी को किसी व्यक्ति की आय की जानकारी देने से इनकार करते हुए, कोर्ट ने यह भी कहा था कि, ''एक मुकदमेबाजी में, जिसमें पत्नी के भरण पोषण का मामला शामिल हो, वहां पति व पत्नी के वेतन विवरण से संबंधित जानकारी व्यक्तिगत जानकारी की श्रेणी तक सीमित नहीं रहती है, जो पति के लिए उपलब्ध है, उस तक पत्नी की भी पहुंच है।''

इसके मद्देनजर आयोग ने इस प्रकार आदेश दिया है

''आयोग ने प्रतिवादी को निर्देश दिया है कि वह अपीलकर्ता को उसके पति की आयकर योग्य कुल आय/सकल आय के सामान्य विवरण प्रदान करें, जो वर्ष 2017-2018 की अवधि के संबंध में सार्वजनिक प्राधिकरण के पास उपलब्ध हैं। यह जानकारी 15 कार्य दिवसों के भीतर दे दी जाए।''

आयोग ने हालांकि अपीलार्थी की उस मांग को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है,जिसमें उसने पति द्वारा दायर आयकर रिटर्न की फोटोकॉपी मांगी थी।

आयोग ने कहा कि,

''अपीलकर्ता द्वारा अपने पति के आयकर रिटर्न की प्रतियों के बारे में मांगी गई जानकारी, आदि तीसरे पक्ष की व्यक्तिगत जानकारी है, जिसका खुलासा आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (जे) के तहत नहीं किया जा सकता है।''

केस का शीर्षक- रहमत बानो बनाम सीपीआईओ, आयकर

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