पत्नी का आरोप, COVID-19 वैक्सीन लेने के बाद पति की मौत: मद्रास हाईकोर्ट ने AEFI गाइडलाइन के तहत विशेषज्ञ से शव की ऑटोप्सी करने का निर्देश दिया
मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार (04 फरवरी) को एक 40 वर्षीय सफ़ाई कर्मचारी के शरीर की ऑटोप्सी का आदेश दिया। अपने आदेश में अदालत ने कहा कि अगर सही तरीके से पहले से ही सही तरह से ऑटोप्सी नहीं हुई, तो इस बार सर्जन, पैथोलॉजिस्ट और फॉरेंसिक विशेषज्ञ की भागीदारी में होनी चाहिए।
न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एस. अनंथी की खंडपीठ ने मृतक की पत्नी अंबिका (एक दिहाड़ी मजदूर) की याचिका पर सुनवाई करते हुए यहा आदेश दिया।
मृतक की पत्नी ने आरोप लगाया था कि उसके पति को 21 जनवरी 2021 को COVID-19 का टीका लगा था, जिसके बाद उसका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा और 30 जनवरी को, जब वह मेडिकल चेकअप के लिए मदुरै की यात्रा कर रहे थे, तो वे अरुप्पुकोट्टई बस स्टैंड में गिर पड़े और मर गए।
अंबिका ने अपनी याचिका में यह भी आरोप लगाया कि उसका पति टीका लगवाने के लिए तैयार नहीं था, लेकिन पंचायत अधिकारियों द्वारा उसे काम से निकालने की धमकी देने के बाद उसने टीकाकरण के लिए अपनी सहमति दी।
याचिकाकर्ता का आरोप है कि मृतक को COVID-19 वैक्सीन लगने के बाद उसकी मौत होने का संदेह है।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि हालांकि यह केवल संदेह के दायरे में है, उत्तरदाताओं को वर्ष 2015 के दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए अर्थात् AEFI ऑपरेशनल गाइडलाइंस के तहत शव की ऑटोप्सी की जानी चाहिए।
गौरतलब है कि गाइडलाइंस में कहा गया है कि ऑटोप्सी को डॉक्टरों की एक टीम को करना होगा, जिसमें ऑटोप्सी सर्जन, पैथोलॉजिस्ट और फोरेंसिक विशेषज्ञ शामिल होंगे।
इसके अलावा, यह भी प्रस्तुत किया गया कि COVID-19 टीकों, 2020 के लिए हालिया दिशानिर्देशों में, यह कहा गया है कि AEFI मामलों पर एक जाँच होनी चाहिए।
यह ध्यान दिया जा सकता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटना (AEFI) कोई भी अनचाही चिकित्सा घटना है, जो टीकाकरण का अनुसरण करती है और जिसका जरूरी टीका के उपयोग के साथ कोई सीधा संबंध नहीं है।
प्रतिकूल घटना किसी भी प्रतिकूल या अनजाने संकेत, असामान्य लैब रिसर्च, लक्षण या बीमारी हो सकती है।
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व एडवोकेट के. पुष्पावनम ने सहायता से एडवोकेट डॉ. आर. अलागुमानी ने किया।
ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें