'आप दूसरों के अधिकार का अतिक्रमण क्यों कर रहे हैं': बॉम्बे हाईकोर्ट ने नॉन वेज फूड के विज्ञापन पर बैन लगाने की मांग वाली याचिका पर कहा
बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने नॉन वेज फूड के विज्ञापन पर बैन लगाने की मांग वाली जैन धार्मिक संस्थाओं की याचिका पर कहा कि आप दूसरों के अधिकार का अतिक्रमण क्यों कर रहे हैं।
कोर्ट ने कहा,
"कोई कानून नहीं है जो इसे प्रदान करता है। आप हमें कानून बनाने के लिए कह रहे हैं और संविधान के अनुच्छेद 19 के उल्लंघन के बारे में क्या? आप दूसरे के अधिकारों का अतिक्रमण क्यों कर रहे हैं?"
चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता पी बेंच ने याचिकाकर्ता तीन ट्रस्टों को याचिका वापस लेने की स्वतंत्रता दी और कहा कि बेहतर विवरण और उचित प्रार्थना के साथ आएं।
सीजे ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या अदालत अपने अनुच्छेद 226 के अधिकार क्षेत्र के तहत उनकी प्रार्थना की अनुमति दे सकती है।
अदालत ने कहा,
"आप एचसी से एक आदेश मांग रहे हैं कि राज्य को किसी चीज पर प्रतिबंध लगाने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश दिया जाए। यह विधानमंडल को तय करना है। हम केवल तभी हस्तक्षेप कर सकते हैं जब कुछ अधिकारों का उल्लंघन होता है।"
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील गुंजन शाह ने कहा कि वह केवल मांसाहारी भोजन का प्रचार न करने की मांग कर रही हैं।
उन्होंने कहा,
"मैं नॉन वेज फूड को चुनौती नहीं दे रही हूं। शाकाहारी लोगों को इन विज्ञापनों को अपने टीवी पर देखना पड़ रहा है।"
सीजे ने जवाब दिया,
"एक सामान्य व्यक्ति जिसे कोई जानकारी नहीं है, वह टीवी बंद कर दे।"
शाह ने दावा किया कि जानवरों के प्रति दया दिखाना एक मौलिक कर्तव्य है और उन्होंने याचिका में संशोधन करने की मांग की। हालांकि, अदालत ने उसे इसके बजाय एक नई याचिका दायर करने के लिए कहा।
इस मामले में याचिकाकर्ता आत्मा कमल लब्धिसूरीश्वरजी जैन ज्ञानानंदिर ट्रस्ट, शेठ मोतीशा धार्मिक और धर्मार्थ ट्रस्ट, श्री वर्धमान परिवार और व्यवसायी ज्योतिंद्र रमणिकलाल शाह हैं।
इस मामले में केंद्र सरकार, महाराष्ट्र राज्य, भारतीय विज्ञापन मानक परिषद और 'लाइसिस' जैसे ब्रांडों के स्वामित्व वाली निजी मांस कंपनियों को प्रतिवादी बनाया गया था।
याचिका में मांग की गई थी कि किसी भी मीडिया में मांसाहारी भोजन के विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाने के लिए अधिकारियों को नियम या दिशा-निर्देश तैयार करने का निर्देश दिया जाए।
याचिका में प्रतिवादियों को पैकेज्ड नॉन-वेज उत्पादों पर चेतावनी छापने का निर्देश देने की भी प्रार्थना की गई थी। इसमें कहा गया था कि नॉन वेज फूड का सेवन स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए हानिकारक है।