सीआरपीसी की धारा 125 के तहत अपने पति के साथ उसके घर में रह रही पत्नी भरण-पोषण की हकदार है? दिल्ली हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया

Update: 2021-12-17 06:00 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक याचिका पर नोटिस जारी किया। इस याचिका में सवाल उठाया गया कि क्या अपने पति के साथ उसके घर में रहने वाली पत्नी सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण-पोषण की हकदार है।

न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने पति द्वारा दायर एक आपराधिक पुनर्विचार याचिका पर नोटिस जारी किया। इसमें 15 नवंबर, 2021 के एक आदेश को चुनौती दी गई जिसके तहत उसकी पत्नी द्वारा सीआरपीसी की धारा 125 के तहत दायर अंतरिम भरण-पोषण आवेदन को फैमिली कोर्ट द्वारा कथित रूप से इस तथ्य पर विचार किए बिना अनुमति दी गई थी। पत्नी पति के साथ अपने ससुराल में रहती है।

यह तर्क दिया गया कि पति के घर में रहने के कारण पत्नी सीआरपीसी की धारा 125 के तहत किसी भी रखरखाव की हकदार नहीं है।

यह घटनाक्रम में दो निर्णयों के संदर्भ में देखा गया, एक सुप्रीम कोर्ट द्वारा भुवन मोहन सिंह बनाम मीना और अन्य, (2015) 6 एससीसी 353 में दिया गया फैसला और दूसरा दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा माला निदर बनाम सुनील सागर में दिया गया फैसला।

याचिकाकर्ता के अनुसार, फैमिली कोर्ट ने उक्त निर्णयों के विपरीत पत्नी को अंतरिम गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया गया। इसमें कहा गया कि पत्नी ऐसे परिदृश्य में किसी भी तरह के भरण-पोषण की हकदार नहीं है।

याचिका में कहा गया,

"सीआरपीसी की धारा 125 का आशय स्पष्ट है कि इसका उपयोग उन पत्नियों/महिलाओं को कोई भरण-पोषण प्रदान करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए जो अपनी मर्जी से और बिना किसी पर्याप्त कारण के अपने पति से अलग रहती हैं। इस प्रकार, उप-खंड ( धारा 125 सीआरपीसी की धारा 4) का स्पष्ट रूप से तात्पर्य है कि एक पत्नी के लिए सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण-पोषण का दावा करना अपने पति से अलग रहना एक पूर्व-आवश्यकता है।"

अब इस मामले की सुनवाई 10 फरवरी, 2022 को होगी।

इस बीच, याचिकाकर्ता-पति ने 60,000/- रुपये प्रतिवादी पत्नी को, 30 जनवरी, 2022 तक देने का वादा किया है।

केस शीर्षक: एसएच सीताराम बनाम श्रीमती अनीता

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