वालयार रेप-डेथ केस: मुख्य आरोपी ने जमानत के लिए केरल हाईकोर्ट का रुख किया

Update: 2021-10-27 08:42 GMT

केरल हाईकोर्ट

केरल में हुए कुख्यात वालयार मामले के मुख्य आरोपी ने राज्य हाईकोर्ट के समक्ष जमानत याचिका दायर की।

न्यायमूर्ति पी. गोपीनाथ सोमवार को आरोपी के जमानत आवेदन पर सुनवाई करेंगे।

आवेदकों की ओर से पेश अधिवक्ता सादिक इस्माइल ने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो मामले में एक बयान प्रस्तुत करने की योजना बना रहा है। इसके लिए कुछ और समय मांगा।

एएसजी पी. विजयकुमार सीबीआई की ओर से पेश होंगे। वह बुधवार को मामले में पेश नहीं हुए।

तदनुसार, मामले को सोमवार के लिए पोस्ट कर दिया गया।

इस मामले में केरल के वालयार जिले में क्रमशः 13 जनवरी और 4 मार्च, 2017 को 13 साल और नौ साल की दो नाबालिग दलित बहनों की अप्राकृतिक मौत हुई थी।

घटना का पता तब चला जब वे संबंधित तारीखों को अपने एक कमरे के घर में लटकी पाई गई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मौत से पहले उनके साथ रेप किया गया था।

पुलिस मामले के अनुसार, आरोपियों द्वारा अप्राकृतिक यौन संबंध के कई उदाहरणों के कारण होने वाली असहनीय पीड़ा से लड़कियों ने आत्महत्या कर ली।

इस मामले में पांच आरोपी है- मधु उर्फ ​​वालिया मधु, मधु एम उर्फ ​​कुट्टी मधु, शिबू, प्रदीप कुमार एम और अपराध के समय 16 साल का एक नाबालिग।

हालांकि, चौथे आरोपी प्रदीप कुमार ने कथित तौर पर नवंबर 2020 में आत्महत्या कर ली थी।

बाद में एक विशेष POCSO अदालत ने अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत एक कमजोर मामले का हवाला देते हुए तीन आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत के इस फैसले के खिलाफ राज्य में बड़े पैमाने पर जन आक्रोश फूट पड़ा था। इसने राज्य में नागरिक समाज संगठनों और विपक्षी दलों के साथ पुलिस जांच और मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप की निंदा करते हुए विरोध प्रदर्शनों की श्रृंखला चला दी थी।

मामले ने सनसनीखेज अनुपात भी हासिल किया था, क्योंकि शुरू में इसकी जांच करने वाले पुलिस अधिकारियों पर आरोपियों की मदद करने के आरोप लगे थे।

इसलिए, राज्य ने मामले में फिर से जांच की मांग करने वाली अपील के साथ हाईकोर्ट का रुख किया। अदालत ने मामले में आगे की जांच की मांग करने के लिए अभियोजन पक्ष को दी गई स्वतंत्रता के साथ अभियुक्तों को बरी कर दिया।

इसके बाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को वालयार बलात्कार और मौत के मामलों की जांच करने का आदेश दिया

तदनुसार, इस साल अप्रैल में सीबीआई की तिरुवनंतपुरम इकाई ने इस मामले को उठाया था। इस तरह सीबीआई ने एक विशेष अदालत के समक्ष यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत अपनी जांच के बाद मामले में दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की।

एफआईआर में आरोपी पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत भी मामला दर्ज किया गया है। उन्हें जल्द ही कैद कर लिया गया।

तीसरे आरोपी एम. मधु को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी।

बाद में वालिया मधु और शिबू ने अतिरिक्त सत्र न्यायालय के समक्ष जमानत आवेदनों को एफआईआर देते हुए दावा किया कि उन्हें तीन महीने से अधिक समय तक जेल में रखा गया था, लेकिन उन पर लगे आरोपों को इस साल जून में खारिज कर दिया गया।

केस शीर्षक: मधु उर्फ ​​वलिया मधु बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो

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