व्यापार मंडल चुनाव को बिहार सहकारी समिति अधिनियम और नियमों के प्रावधानों का पालन करना होगा: पटना हाईकोर्ट

Update: 2023-06-24 06:58 GMT

पटना हाईकोर्ट ने व्यापार मंडल सहकारी समिति के चुनाव के संबंध में बिहार राज्य चुनाव प्राधिकार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा जारी दिशानिर्देशों के संबंध में जनहित याचिका (पीआईएल) के रूप में दायर रिट याचिका खारिज कर दी।

चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने कहा,

"व्यापार मंडल का चुनाव बिहार सहकारी समिति अधिनियम और उसके तहत बनाए गए नियमों के प्रावधानों के तहत सहकारी आंदोलन के संदर्भ में आयोजित किया जाना आवश्यक है।"

खंडपीठ ने कहा,

"यदि समिति का गठन उन व्यक्तियों से नहीं किया जा रहा है, जिन्होंने याचिकाकर्ता के दावे के अनुसार नामांकन जमा किया तो यह उनका काम है कि वे अधिनियम के तहत सक्षम अधिकारियों के समक्ष अधिनियम और नियमों के अनुसार कदम उठाएं।"

याचिकाकर्ता महाराणा सिंह दिशानिर्देशों से व्यथित था, जिसमें कहा गया कि यदि चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रतिस्पर्धा की कमी होती है तो चुनाव रोक दिया जाएगा और राज्य चुनाव आयोग को सूचना दी जाएगी।

महाराणा सिंह का मामला सोनभद्र बंशी सूर्यपुर व्यापार मंडल के नामांकन प्रक्रिया के इर्द-गिर्द घूमता रहा। सिंह ने तर्क दिया कि शेरपुर प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसाइटी (PACS) के अध्यक्ष पद के लिए केवल एक व्यक्ति ने नामांकन दाखिल किया। प्रबंध समिति की सदस्यता के लिए कई अन्य पैक्स अध्यक्षों ने नामांकन दाखिल किया। हालांकि नामांकन वैध माने गए, लेकिन चुनाव परिणाम घोषित नहीं किए गए और प्रबंध समिति का गठन जारी दिशानिर्देशों के अनुसार लंबित रहा।

सिंह ने दावा किया कि उन्होंने बिहार राज्य चुनाव प्राधिकरण, अरवल के जिला मजिस्ट्रेट और सोनभद्र बंशी के खंड विकास अधिकारी से संपर्क कर वैध नामांकन के आलोक में समिति की निर्विरोध घोषणा का अनुरोध किया। हालांकि, अदालत ने कहा कि सिंह ने खुद को सोनभद्र बंशी सूर्यपुर ब्लॉक के निवासियों के वैध रूप से निर्वाचित प्रतिनिधि (प्रमुख) के रूप में पहचानते हुए जनहित याचिका के रूप में रिट याचिका दायर की।

अदालत ने आगे कहा कि सिंह उन व्यक्तियों में से नहीं हैं, जिन्होंने प्रबंध समिति की सदस्यता या इसके अध्यक्ष पद के लिए नामांकन जमा किया। हालांकि सिंह ने ब्लॉक के निर्वाचित प्रतिनिधि होने का दावा किया, लेकिन वह अपनी याचिका में पैक्स के नामित अध्यक्षों को शामिल करने में विफल रहे। नतीजतन, यह सुनिश्चित नहीं किया जा सका कि क्या ये व्यक्ति अभी भी सिंह के दावों के आधार पर व्यापार मंडल की प्रबंध समिति के सदस्य बनना चाहते हैं।

पीठ ने निष्कर्ष निकाला कि याचिकाकर्ता के पक्ष में असाधारण विवेकाधीन रिट क्षेत्राधिकार के प्रयोग को उचित ठहराने वाला कोई स्पष्ट सार्वजनिक हित नहीं है। तदनुसार, रिट याचिका खारिज कर दी गई।

केस टाइटल: महाराणा सिंह बनाम बिहार राज्य और अन्य सिविल रिट क्षेत्राधिकार केस नंबर 2821/2018।

अपीयरेंस :

याचिकाकर्ता/ओं के लिए: अरबिंद कुमार सिंह और प्रतिवादी/प्रतिवादियों के लिए: एसी से एएजी-11

फैसले को पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




Tags:    

Similar News