विवेकानंद रेड्डी हत्याकांड: तेलंगाना हाईकोर्ट ने कडप्पा सांसद अविनाश रेड्डी के सहयोगी पिता को जमानत देने से इनकार किया

Update: 2023-09-05 06:30 GMT

तेलंगाना हाईकोर्ट ने वाई.एस. विवेकानन्द रेड्डी हत्याकांड मामले में कडप्पा सांसद के पिता और करीबी सहयोगी वाई.एस. भास्कर रेड्डी और गज्जला उदय कुमार रेड्डी की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं।

कोर्ट ने कहा,

"यह विश्वास करने के लिए प्रथम दृष्टया और उचित आधार है कि याचिकाकर्ताओं/ए.6 [गज्जला] और ए.7 [भास्कर] ने अपराध किया है, जो गंभीर प्रकृति का है... ए.7, ए8 का पिता है, [कडपा संसदीय क्षेत्र से मौजूदा संसद सदस्य] और वह आंध्र प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री के करीबी रिश्तेदार हैं... वे अत्यधिक प्रभावशाली व्यक्ति हैं। सभी गवाह आंध्र प्रदेश राज्य से हैं। इस प्रकार इसकी पूरी संभावना है इसमें याचिकाकर्ताओं द्वारा गवाहों को धमकाने/प्रभावित करने की घटना में ट्रायल कोर्ट के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से सुनवाई करना संभव नहीं होगा।"

मार्च 2019 में तत्कालीन संयुक्त राज्य आंध्र प्रदेश की विधानसभा के पूर्व सदस्य और पूर्व संसद सदस्य की हत्या से संबंधित चल रहे मामले में जस्टिस के. लक्ष्मण द्वारा सामान्य आदेश पारित किया गया था।

यह माना गया कि यद्यपि जमानत न्यायालय की विवेकाधीन शक्ति है, लेकिन इसका प्रयोग न्यायिक तरीके से किया जाना चाहिए।

जस्टिस लक्ष्मण ने कहा कि जमानत देते समय आरोपी के मामले पर गहराई से विचार करना हाईकोर्ट का काम नहीं है, बल्कि इसके बजाय अदालत को इस पर विचार करना चाहिए कि क्या आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनाया जा सकता है।

पीठ ने प्रशांत कुमार सरकार बनाम आशीष चटर्जी और दीपक यादव बनाम यूपी राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों पर विचार किया। कोर्ट ने माना कि प्रथम दृष्टया आरोपियों के खिलाफ मामला बनता है और आरोपी गवाहों को प्रभावित करने की स्थिति में भी हैं।

कोर्ट ने कहा,

"यह ध्यान देने योग्य है कि प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ताओं और अन्य आरोपियों के खिलाफ विशिष्ट आरोप है कि पीडब्ल्यू 9 जे. शंकरैया तत्कालीन सर्कल इंस्पेक्टर ने सीबीआई को दिए गए अपने बयान में याचिकाकर्ताओं और अन्य की भूमिका का उल्लेख किया। सीआरपीसी की धारा 161 के तहत उन्होंने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत अपना बयान देने की इच्छा भी व्यक्त की। हालांकि वह सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान देने के लिए सहमत हुए लेकिन बाद में उन्होंने बयान देने से इनकार कर दिया और दो गवाहों की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई।"

2020 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि सभी मुख्य आरोपी राजनीतिक रूप से बेहद जुड़े हुए हैं, मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को ट्रांसफर कर दिया। आरोपियों ने न केवल हत्या की, बल्कि बड़ी साजिश और सबूतों को नष्ट करने का भी प्रयास किया। इसलिए कोर्ट ने इन आरोपों की भी जांच करने का आदेश दिया।

जांच अधिकारियों ने अक्टूबर 2021, जनवरी 2022 और जून 2023 में 3 आरोपपत्र दायर किए। यहां याचिकाकर्ताओं को शेख दस्तगिरी (ए4) के कबूलनामे के कारण फंसाया गया।

याचिकाकर्ताओं का तर्क यह था कि केवल शेख दस्तगिरी के कबूलनामे के आधार पर उन्हें मामले में शामिल माना गया। उन्हें हत्या से जोड़ने के लिए कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है। यह तर्क दिया गया कि सीआरपीसी की धारा 161, 164 और 306 के तहत दर्ज ए4 के बयान असंगत है।

इसके अलावा यह तर्क दिया गया कि अभियुक्तों के ठिकाने का पता लगाने के लिए सीबीआई सेलुलर डेटा ट्रैकिंग और "गूगल टेक आउट" स्वीकार्य साक्ष्य नहीं है। उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

सीनियर वकील ने अदालत को आश्वस्त किया कि यदि गवाह के साथ जबरदस्ती करने के आरोप सामने आते हैं तो जमानत रद्द की जा सकती है।

न्यायालय ने पाया कि ए4 को सत्र न्यायालय द्वारा क्षमादान दिया गया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा। न्यायालय ने दोहराया कि हाईकोर्ट मुकदमे की अदालत नहीं है।

हाईकोर्ट ने कहा,

"अदालत जमानत याचिका पर निर्णय लेते समय अभियोजन मामले के संबंध में कोई जांच नहीं कर सकती है। यह न्यायालय अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयानों की विश्वसनीयता पर विचार नहीं कर सकता है।"

अदालत ने अंततः देखा कि जांच अधिकारी के खिलाफ किसी भी आरोप पर भी रोक लगा दी गई। इस प्रकार, याचिकाकर्ता जमानत के लिए मामला बनाने में विफल रहा।

आरोपों की गंभीर प्रकृति और अभियुक्तों द्वारा गवाहों को प्रभावित करने की संभावना को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने कहा:

"उपरोक्त चर्चा के आलोक में, यह न्यायालय इस स्तर पर याचिकाकर्ताओं को जमानत देने के लिए इच्छुक नहीं है और दोनों आपराधिक याचिकाएं खारिज की जा सकती हैं।"

केस टाइटल: येदुगुरी संदिंटि भास्कर रेड्डी बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो के माध्यम से राज्य

केस टाइटल: गज्जला उदय कुमार रेड्डी बनाम द स्टेट थ्रू सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन

याचिकाकर्ताओं के वकील: टी. निरंजन रेड्डी, सीनियर वकील, टी. नागार्जुन रेड्डी और चौधरी सिद्धार्थ सरमा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

उत्तरदाताओं के वकील: अनिल तेंवर, विशेष लोक अभियोजक, सीबीआई और तेकुरु स्वेचा का प्रतिनिधित्व करने वाले सीनयिर वकील बी.नलिन कुंअर

दिनांक: 04.09.23

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