वायरस लंबे समय तक रहने वाला है, भविष्य के लिए आपकी क्या योजना है?': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को यूपी सरकार से कहा है कि वह कोरोना महामारी से निपटने के लिए एक रोड मैप तैयार करके लाए क्योंकि इस महामारी का अभी ''लंबे समय तक'' चलने का अनुमान है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के नव नियुक्त मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति संजय यादव की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य के लिए उपस्थित एएजी मनीष गोयल से कहा कि,
''हम इस महामारी की चुनौती का सामना करने के लिए अब तक आपके द्वारा की गई कार्रवाई के स्टे्टस के बारे में जानना चाहते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि यह वायरस लंबे समय तक हमारे साथ रहने वाला है। अनदेखी चुनौतियों और भविष्य के लिए आपकी क्या योजना है?''
इस बेंच में जस्टिस प्रकाश पाडिया भी शामिल थे। पीठ ने स्पष्ट किया कि वह जनहित के मामले में विरोधात्मक दृष्टिकोण नहीं अपनाएगी और राज्य को एक एक्शन प्लान तैयार करने के लिए और समय देने के लिए इच्छुक है।
जब मामले में हस्तक्षेप करने वालों ने समयबद्ध निर्देश मांगे तो मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि,''राज्य अपना कर्तव्य निभा रहा है। हम नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं। राज्य के लिए कोई समयरेखा तय नहीं की जा सकती है। क्या वायरस के लिए कोई समयरेखा है?''
बेंच ने कहा कि नागरिक COVID19 प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहे हैं और अक्सर सोशल डिस्टेंसिंग और मास्किंग मानदंडों आदि का उल्लंघन करते पाए जाते हैं।
पीठ ने यह भी कहा कि जब स्थानीय पुलिस द्वारा ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है, तो सोशल मीडिया पर अनावश्यक हंगामा होता है।
मुख्य न्यायाधीश यादव ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि, ''जब पुलिस कार्रवाई करती है, तो यह आपके सोशल मीडिया पर एक विषय बन जाती है और इसकी आलोचना की जाती है।''
सुनवाई के दौरान, एएजी गोयल ने 7 जून का एक हलफनामा रिकाॅर्ड पर पेश किया, जो हाईकोर्ट के 27 मई के आदेश के अनुसार दायर किया गया था। 27 मई के आदेश के तहत कोर्ट ने भदोही, गाजीपुर, बलिया, देवरिया और शामली जिलों में सुविधाओं के उन्नयन की योजना के बारे में प्लान मांगा था।
मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि,''क्या वजह थी कि यह रिपोर्ट केवल 5 जिलों के संबंध में दायर की गई है? पूरे यूपी के लिए क्यों नहीं? क्या इन 5 जिलों में महामारी का प्रभाव अधिक था?''
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी का प्रभाव बड़े शहरों में अधिक है और इसलिए राज्य सरकार को टीकाकरण अभियान सहित पूरे यूपी राज्य के लिए उठाए गए कदमों के संबंध में एक समानुक्रमित और समेकित हलफनामा दाखिल करना चाहिए।
पीठ ने राज्य से यह सुनिश्चित करने को भी कहा है कि उनके समक्ष जो भी योजना पेश की जाए वह सिर्फ कागजों पर न रहे ,बल्कि उसे जमीनी स्तर पर सख्ती से लागू किया जाए।
बुजुर्ग/बिस्तर से उठने में अक्षम लोगों के लिए डोर-टू-डोर/नियर-टू-डोर वैक्सीनेशन की मांग के संबंध में डिवीजन बेंच ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को एक मिसाल मानने से इनकार कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश ने मामले के हस्क्षेपकर्ताओं से कहा कि,''बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला यहां मिसाल नहीं हो सकता। यूपी और महाराष्ट्र की स्थिति बहुत अलग है। क्या आप जानते हैं कि इन दोनों राज्यों में मौतों का प्रतिशत क्या है? अगर आप नहीं जानते हैं तो आप टिप्पणी और तुलना नहीं कर सकते हैं।''
तदनुसार, यूपी सरकार को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया गया है जिसमें महामारी की वर्तमान स्थिति और इसके प्रभाव को कम करने के लिए भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी मांगी गई है।
केस का शीर्षकः In-Re Inhuman Condition At Quarantine Centres…