'राज्य में पीड़ित संरक्षण योजना केवल कागजों पर मौजूद है': केरल हाईकोर्ट ने POCSO के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता व्यक्त की

Update: 2021-10-13 04:13 GMT

केरल हाईकोर्ट ने राज्य में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO) के तहत दर्ज मामलों की बढ़ती संख्या और इन अपराधों या अपराधियों से बच्चों को बचाने के लिए एक प्रक्रिया की अनुपस्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की।

न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने पीड़िता और उसकी मां द्वारा एक POCSO मामले में पुलिस सुरक्षा की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि उन्हें अपराधी द्वारा धमकाया जा रहा है।

पीठ ने पीड़ित सुरक्षा योजना की कमी पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा,

"यह उचित समय है कि हम राज्य में एक पीड़ित संरक्षण योजना लागू करें। अभी यह केवल कागजों पर मौजूद है, इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है। यदि यह किसी अन्य देश में होता, तो पीड़ित को संरक्षण प्राप्त होता।"

अदालत ने पुलिस को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किया कि पीड़िता और उसके परिवार को आरोपी या उसके परिवार के सदस्यों से उनकी जान को होने वाले किसी भी खतरे से पर्याप्त रूप से बचाया जाए। आरोपी पीड़िता का रिश्तेदार है।

इस निर्देश के साथ मामले को 2 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया।

इस मामले में आरोपी को बरी कर दिया गया था, लेकिन पीड़ित परिवार बरी होने के खिलाफ अपील दायर करने का प्रयास कर रहा है। ऐसे में आरोपी और उसके परिवार ने कथित तौर पर पीड़िता को मामला आगे नहीं बढ़ाने की धमकी देना शुरू कर दिया।

अधिवक्ता पी एम रफीक और अधिवक्ता अजित थॉमस के माध्यम से पुलिस सुरक्षा के लिए एक याचिका दायर की गई थी।

याचिका में दावा किया गया है कि उन्होंने पीड़िता और उसके परिवार के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए स्थानीय पुलिस और जिला पुलिस प्रमुख को अभ्यावेदन दिया था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला और इसलिए उन्हें अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा।

केस का शीर्षक: बेस्सी पॉल बनाम स्टेशन हाउस ऑफिसर

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